कानपुर : हैलट के मल्टी सुपर स्पेशियलिटी में होगा किडनी ट्रांसप्लांट

कानपुर में हैलट के मल्टी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल एंड पीजी इंस्टीट्यूट में रोगियों को किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा मिल सकेगी। जीएसीवीएम मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने इस दिशा में काम शुरू कर दिया है। हॉस्पिटल में डायलिसिस यूनिट का बचा काम पूरा किया जा रहा है।

विशेषज्ञों का स्टॉफ और उपकरण उपलब्ध हो गए हैं। लेजर संबधी उपकरण भी आ गए हैं। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला ने बताया कि विधिक प्रक्रिया पूरी करने और ट्रांसप्लांट यूनिट को क्रियाशील बनाने में एक साल लगेगा। इसके बाद रोगियों को किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा मिलने लगेगी।
हैलट और मंडल के जिलों के किसी मेडिकल कॉलेज में किडनी ट्रांसप्लांट की व्यवस्था नहीं है। शहर के एक निजी हॉस्पिटल में किडनी ट्रांसप्लांट होता है लेकिन शहर के ज्यादातर गुर्दा रोगी किडनी ट्रांसप्लांट के लिए लखनऊ और दिल्ली जाते हैं। हैलट में किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट चालू होने के बाद कानपुर समेत आसपास के 17 जिलों के रोगियों को राहत मिल जाएगी।

यूरो सर्जरी में छह और नेफ्रोलॉजी में तीन विशेषज्ञ उपलब्ध
सरकारी फीस पर उनका गुर्दा प्रत्यारोपण हो जाएगा। डोनर मिलने के बाद निजी क्षेत्र में किडनी ट्रांसप्लांट कराने पर बहुत अधिक खर्च आता है। डॉ. काला ने बताया कि यूरो सर्जरी और नेफ्रोलॉजी विभाग में विशेषज्ञ पर्याप्त संख्या में हैं। यूरो सर्जरी में छह और नेफ्रोलॉजी में तीन विशेषज्ञ उपलब्ध हैं।

विधिक अनुमति के लिए जल्दी शुरू कर दी जाएगी प्रक्रिया
उन्होंने बताया कि मल्टी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में डायलिसिस मशीनें पहले आ चुकी हैं। आरओ प्लांट, पाइपलाइन की व्यवस्था की जा रही है। ट्रांसप्लांट यूनिट बनने के पहले डायलिसिस यूनिट शुरू हो जाएगी। इसके अलावा यूरो सर्जरी के लिए तीन मॉड्युलर ओटी आवंटित कर दी गई हैं। इनका इस्तेमाल भी शुरू हो गया है। विधिक अनुमति के लिए प्रक्रिया जल्दी शुरू कर दी जाएगी।

गुर्दा रोगियों का आंकड़ा (स्रोत-कानपुर किडनी फाउंडेशन)
साल में 15 हजार रोगियों के गुर्दे होते हैं प्रभावित
साल भर में औसत पांच हजार रोगियों के गुर्दे होते हैं फेल।
डेढ़ हजार रोगियों को पड़ती है डायलिसिस की जरूरत।
साल में सिर्फ 30 से 40 रोगी करा पाते हैं किडनी ट्रांसप्लांट।

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