कानपुर: आईआईटी से सेंट्रल स्टेशन तक नवंबर से शुरू हो सकती है मेट्रो

कानपुर में आईआईटी से मोतीझील के बीच दौड़ रही मेट्रो को नवंबर से कानपुर सेंट्रल स्टेशन तक चलाने की तैयारी है। चुन्नीगंज से सेंट्रल स्टेशन तक भूमिगत रूट पर मेट्रो दौड़ेगी। मेट्रो ट्रेन आईआईटी से 27 मिनट में स्टेशन पहुंचेंगी, किराया 40 रुपये होगा। उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (यूपीएमआरसी) चालक रहित मेट्रो ट्रेन के संचालन के लिए चुन्नीगंज से नयागंज भूमिगत मेट्रो स्टेशन के बीच 10 से 15 जुलाई के बीच ट्रायल शुरू करने जा रहा है। इसके बाद अक्तूबर में सीआरएस (मुख्य संरक्षा आयुक्त) से निरीक्षण कराने की तैयारी है।

चुन्नीगंज स्टेशन से कानपुर सेंट्रल तक दोनों भूमिगत रेलवे ट्रैकों (अप और डाउन लाइन) पर एक-एक ट्रेन ही चलेगी। जिस लाइन से ट्रेन जाएगी, उसी से लौटेगी। क्योंकि कॉरिडोर-1 के अंतर्गत मकरावटगंज से चुन्नीगंज होते हुए कानपुर सेंट्रल तक दो ही भूमिगत रेलवे ट्रैक बिछाए गए हैं। दोनों ट्रैक जंक्शन बनाकर आपस में नहीं जोड़े गए हैं। जब ट्रांसपोर्टनगर स्टेशन तक भूमिगत मेट्रो सुरंगों, थर्ड रेल, कम्युनिकेशन बेस्ड ट्रेनिंग सिस्टम (सीवीटीसी), जंक्शन निर्माण हो जाएंगे तब ट्रैक पर मेट्रो चलाना संभव हो पाएगा। फिलहाल यह सुविधा गीतानगर एलिवेटेड मेट्रो स्टेशन में है।

नयागंज से सेंट्रल के बीच भूमिगत ट्रैक तैयार, सिग्निलिंग, सीवीटीसी के काम जल्द होंगे पूरे
यूपीएमआरसी लगभग 24 किलोमीटर लंबे कॉरिडोर-1 में आईआईटी से मोतीझील तक नौ किलोमीटर रूट पर मेट्रो चलवा रही है। यह रूट एलिवेटेड है। उसके आगे मकरावटगंज से नयागंज होते हुए कानपुर सेंट्रल तक भूमिगत मेट्रो ट्रैक बिछाया गया है। भूमिगत रूट पर मकरावटगंज से चुन्नीगंज, नवीन मार्केट, बड़ा चौराहा होते हुए नयागंज भूमिगत मेट्रो स्टेशन तक ट्रैक, सिग्नलिंग, इलेक्टि्रक, थर्ड रेल, कम्युनिकेशन बेस्ट ट्रेनिंग सिस्टम (सीवीटीएस) आदि लग गए हैं।

कानपुर सेंट्रल तक ट्रायल शुरू किया जाएगा
इसलिए चार दिन बाद ट्रायल चार किलोमीटर लंबे चुन्नीगंज से नयागंज भूमिगत मेट्रो स्टेशन के बीच किया जाएगा। क्योंकि वहां से करीब 1240 मीटर दूर कानपुर सेंट्रल भूमिगत मेट्रो स्टेशन तक अप और डाउन लाइन भूमिगत मेट्रो सुरंग बन गई हैं। ट्रैक भी बिछ गया है। सिग्निलिंग, इलेिक्ट्रक, सीवीटीसी आदि के काम एक-डेढ़ महीने में पूरे होते ही कानपुर सेंट्रल तक ट्रायल शुरू किया जाएगा। ट्रायल एक से डेढ़ महीने चलेगा। इसके बाद सीआरएस के निरीक्षण और फुल स्पीड से ट्रेन संचालित कर हरी झंडी देंगे। इसके बाद यात्रियों को मेट्रो ट्रेन से आवागमन की सुविधा मिलेगी।
आईआईटी से मोतीझील के आगे नयागंज भूमिगत मेट्रो स्टेशन तक 10 से 15 जुलाई के बीच मेट्रो ट्रेन का ट्रायल शुरू किया जाएगा। एक-डेढ़ महीने बाद ट्रायल सेंट्रल स्टेशन तक बढ़ाया जाएगा। रेलवे बोर्ड को पत्र लिकर सीआरएस की हरी झंडी प्राप्त करने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। नवंबर से शहरवासियों के लिए कानपुर सेंट्रल तक अप और डाउन भूमिगत ट्रैक पर एक-एक ट्रेन संचालित करने की योजना बनाई गई है। -पंचानन मिश्र, डीजीएम (पीआर), यूपीएमआरसी है।

इस तरह लिया जाता है मेट्रो ट्रेन का किराया

स्टेशनों की संख्या                                                    शुल्क
1 स्टेशन से दूसरे स्टेशन तक                                     10 रुपये
1 स्टेशनों से तीसरे स्टेशन के बीच यात्रा करने पर          15 रुपये
छह स्टेशनों तक यात्रा करने पर                                 20 रुपये
07 से 10 स्टेशनों तक                                              30 रुपये
11 से 14 स्टेशनों तक                                              40 रुपये
15 से 18 स्टेशनों तक                                              50 रुपये
19 से 21 स्टेशनों तक                                              60 रुपये

कॉरिडोर-1 के चौथे, पांचवें सेक्शन में भी हो रहा निर्माण
यूपीएमआरसी के प्रबंध निदेशक सुशील कुमार के अनुसार कॉरिडोर-1 के सेक्शन-3 के तहत कानपुर सेंट्रल से झकरकटी होते हुए ट्रांसपोर्टनगर भूमिगत मेट्रो स्टेशन तक और उसके बाद सेक्शन-4 के तहत बारादेवी से नौबस्ता तक एलिवेटेड मेट्रो के लिए निर्माण हो रहा है। यह कार्य भी तय समय में पूरा करने की कोशिश की जा रही है।

बीएस पार्क से मकरावटगंज तक अप लाइन का ट्रैक तैयार
शनिवार को चुन्नीगंज-नयागंज भूमिगत सेक्शन में बृजेंद्र स्वरूप पार्क से सीसामऊ नाले पर बने रैंप से मकरावटगंज तक अप-लाइन का ट्रैक निर्माण पूरा कर लिया गया। इससे चार किलोमीटर लंबे इस सेक्शन के आखिरी स्टेशन (नयागंज) तक मेट्रो ट्रेन जाने का रास्ता साफ हो गया है। यूपीएमआरसी के एमडी सुशील कुमार ने बताया कि अगला लक्ष्य इस सेक्शन की डाउन लाइन के काम पूरे करना है। इससे आईआईटी से नयागंज तक रास्ता तैयार हो जाएगा।

ये हैं विशेषताएं
एलिवेटेड मेट्रो की तरह ही भूमिगत मेट्रो में भी गिट्टी-रहित ट्रैक है। इसमें रखरखाव की न्यूनतम आवश्यकता पड़ती है।
पटरी हेड हार्डनिंग तकनीक से बनी हैं। इनका उपयोग मेट्रो रेल के अलावा हाई स्पीड फ्रेट कॉरिडोर में किया जाता है। ये सामान्य पटरियों की तुलना में अधिक मजबूत होती हैं।
कंपन्न और शोर को अवशोषित करने के लिए ट्रैक में मॉस स्प्रिंग सिस्टम लगाया जा रहा है।
ट्रैक स्लैब पर डिरेलमेंट गार्ड, थर्ड रेल की व्यवस्था की गई

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