कानपुर : गर्मी से हृदय का विद्युत प्रवाह बिगड़ा, 30 प्रतिशत बढ़े मरीज

तापमान के लगातार 43 डिग्री सेल्सियस पार रहने का असर हृदय के विद्युत प्रवाह पर पड़ रहा है। गर्मी के कारण शरीर का ताप बढ़ता है। इससे गर्म खून जब हृदय के अंदर पहुंचता है तो इसका कंडक्शन सिस्टम प्रभावित हो रहा है। इससे विद्युत प्रवाह कभी तेज, कभी सुस्त और कभी अटकने लगता है। इसका सीधा असर धड़कन पर आ रहा है। इसे इरिदमिया कहते हैं।

एलपीएस कार्डियोलॉजी इंस्टीट्यूट में इरिदमिया के रोगी 10 फीसदी से बढ़कर 40 फीसदी हो गए हैं। ओपीडी में रोजाना औसतन आने वाले 1200 रोगियों में 480 इरिदमिया के है। इससे पहले औसतन 120 रोगी आते थे। कार्डियोलॉजी की ओपीडी और इमरजेंसी में रोगियों का इलाज किया जा रहा है। कार्डियोलॉजी में आए इरिदमिया के रोगियों की जांच में धड़कन बढ़ी पाई जा रही है। हार्ट रेट सामान्य 60 से 100 के बजाय 140-150 आ रही है। जो पहले से रोगी हैं, उनकी भी हालत बिगड़ रही है। इसके साथ ओपीडी में नए रोगी भी आ रहे हैं।

कार्डियोलॉजी के निदेशक प्रोफेसर राकेश वर्मा ने बताया कि इस समय इरिदमिया के रोगियों की संख्या अधिक है। लगातार गर्मी अधिक रहने के कारण यह दिक्कत है। इसमें अगर लापरवाही की जाए तो हार्ट फेल हो सकता है। ज्यादातर रोगी प्राथमिक उपचार के बाद ठीक हो जाते हैं। जिन्हें दिक्कत अधिक होती है उन्हें भर्ती कर लिया जाता है। सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अवधेश कुमार शर्मा ने बताया कि गर्मी का हृदय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इससे शरीर का सिम्पैथेटिक नर्वस सिस्टम सक्रिय हो जाता है। इससे धड़कन बढ़ने लगती है। इससे कंडक्शन सिस्टम प्रभावित होने लगता है। इसमें बीच-बीच में धड़कन के मिस होने के लक्षण भी आने लगते हैं। इसके अलावा ब्लड प्रेशर आदि भी इसका असर आता है। उन्होंने बताया कि इस स्थिति में अगर तुरंत एहतियात न बरता जाए तो अचानक हाट फेल की नौबत आ सकती है।

ऐसे होने लगती है दिक्कत
हृदय में एसए नोड और एवी नोड होता है। एवी नोड हृदय में विद्युत आपूर्ति करता है। एसए नोड में विद्युत उत्पादन होता है। शरीर का ताप बढ़ने पर खून भी गर्म होता है। जब गर्म खून हृदय में पहुंचता है तो एसए नोड और एवी नोड पर प्रभाव होता है। इस हृदय की धड़कन घट सकती है, बढ़ सकती है या फिर बीच-बीच में रुकने लगती है।

ऐसे करें बचाव
जो रोगी हैं वे बीच में दवा न छोड़ें।
घर में रहें, बेवजह धूप में बाहर न घूमें।
धूप में जाएं तो सिर तथा शरीर का अन्य भाग कपड़े से ढंके रहें।
पानी पीकर बाहर निकलें और बीच-बीच में पानी पीते रहें।

Back to top button