कानपुर: व्यवस्था से हारी ऐश्वर्या ने चुना था सुसाइड का रास्ता, महीनों तक झेलीं शोहदों की यातनाएं
कानपुर में छह साल पहले फंदे से लटककर जान देने वाली सीएसजेएमयू की बीसीए की छात्रा ने व्यवस्था से हारकर आत्महत्या का रास्ता चुना था। कोर्ट में सुनवाई के दौरान ऐश्वर्या के अधिवक्ता रवींद्र वर्मा ने कोर्ट में तर्क रखा था कि मौत का खौफनाक रास्ता चुनने से पहले ऐश्वर्या कई महीनों तक शोहदों द्वारा दी गई यातनाएं झेलती रही। शोहदों ने स्कूटी में टक्कर मारकर उसे गिरा दिया तो घरवालों ने उसे कार दी। जब वह कार से विश्वविद्यालय पहुंची तो उसकी कार पंचर करने और अपहरण करने की धमकी दी गई।
शिकायत पर एचओडी ने ऐश्वर्या को सस्पेंड करने की धमकी दी। निदेशक ने भी शिकायत पर दोनों छात्रों को सिर्फ 15 दिन के लिए सस्पेंड कर मामले को खत्म कर दिया। अनुशासन समिति ने भी शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया। पुलिस ने छेड़छाड़ का केस तो दर्ज किया लेकिन कार्रवाई करने की बजाय ऐश्वर्या को ही जेल भेजने की धमकी देकर समझौते का दबाव बनाया। सब जगह से हारने के बाद ऐश्वर्या ने खुदकुशी का रास्ता चुना था।
छेड़छाड़ से आहत होकर नहीं की खुदकुशी
अनिकेत पांडे के अधिवक्ता गिरीश नारायण दुबे ने बताया कि बचाव पक्ष का तर्क था कि ऐश्वर्या की दोस्ती किसी और युवक से थी जिसका घरवाले विरोध करते थे। मरने से पहले उसको मारापीटा गया था। इसी वजह से उसने खुदकुशी की, न कि छेड़छाड़ की घटना की वजह से। कोर्ट में युवक और छात्रा के व्हाट्सएप चैट भी पेश किए गए थे। ऐश्वर्या के पेट पर चोट का निशान भी मिला था। ऐसे में छेड़छाड़ की दो माह पहले की रिपोर्ट को खुदकुशी को नहीं जोड़ा जा सकता। साथ ही कहा गया कि घटना के समय ऐश्वर्या की मां घर पर थी लेकिन उनकी गवाही नहीं कराई गई। पिता-बहन घर पर नहीं थे पर उन्हें गवाह बनाया। सुसाइड नोट भी कई दिन बाद दिया गया।
नाराज हाईकोर्ट ने फैसले के लिए दिया था 31 अगस्त तक का समय
ऐश्वर्या के आत्महत्या के मामले में हाईकोर्ट ने निचली अदालत की कार्रवाई पर सख्त टिप्पणी की थी। 4 अप्रैल 2018 से जेल में बंद अनिकेत दीक्षित की 12 सितंबर 2018 को हाईकोर्ट ने पहली जमानत याचिका खारिज कर दी थी। उसने 17 मार्च 2020 को दूसरी जमानत याचिका दाखिल की। तर्क रखा गया कि अधिकतम सजा दस साल की है और अनिकेत छह साल जेल में गुजार चुका है। इस पर कोर्ट ने 24 अप्रैल 2024 को उसे जमानत दे दी। आदेश में अदालती कार्रवाई को लेकर भी सख्त टिप्पणी की गई थी।
हर हाल में 31 अगस्त तक फैसला सुनाना ही होगा
हाईकोर्ट ने फाइल देखने पर पाया कि छह साल में सिर्फ पांच गवाहों की गवाही ही हो सकी थी। इस पर सेशन कोर्ट से जवाब भी मांगा गया तो जानकारी हुई कि 2 नवंबर 2019 को आरोप तय हुए थे। तीन मई 2023 तक तीन साल दस माह में सिर्फ दो गवाहियां ही हो सकी थीं। इसके बाद तीन और गवाहियां हुईं। एसआई विनोद कुमार मिश्रा की गवाही होनी थी लेकिन वह नहीं आ रहे थे। उनके खिलाफ वारंट भी जारी हुआ था। इस पर हाईकोर्ट ने सेशन कोर्ट को गवाह को बुलाने के लिए उसकी शक्तियां भी याद दिलाई थी। आदेश दिया था कि छुट्टी के दिनों को छोड़कर अदालत प्रतिदिन खुले न्यायालय में सुनवाई करेगी और वकीलों की हड़ताल होने पर भी न्यायाधीश चैंबर में मुकदमे की सुनवाई करेंगे। हर हाल में 31 अगस्त तक फैसला सुनाना ही होगा।
एसआई को भी दो साल जेल में रहना पड़ा था
मुकदमे में आरोपी अनिकेत पांडे और एचओडी ममता तिवारी को कुछ ही महीनों में हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी। हालांकि अजय कुमार मिश्रा की पहली जमानत याचिका खारिज होने के बाद दूसरी याचिका में 17 फरवरी 2020 को जमानत मिली। अजय को लगभग दो साल उन्हें जेल में रहना पड़ा। अनिकेत दीक्षित व अनिकेत पांडे के खिलाफ ऐश्वर्या ने जो छेड़छाड़ की रिपोर्ट दर्ज कराई थी, उसका मुकदमा निचली अदालत में लंबित है।