कानपुर: भूजल कम होने से डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर के अर्थिंग पाइप सूखे

लगातार गर्मी बढ़ने से धरती सूख रही है। भूजल कम होने का असर बिजली व्यवस्था पर भी पड़ रहा है। जिन क्षेत्रों में जलस्तर काफी कम है, वहां हैंडपंप के साथ डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर के अर्थिंग पाइप भी सूख गए हैं। इससे ट्रांसफार्मर फुंक रहे हैं। साथ ही 10 से अधिक क्षेत्रों में ट्रिपिंग और लो वोल्टेज की समस्या भी शुरू हो गई है। केस्को की ओर से अर्थिंग पाइप में नमी के लिए नियमित पानी डाला जा रहा है।

शहर के 10 से अधिक क्षेत्रों में ट्रिपिंग और लो-वोल्टेज की समस्या शुरू हो गई है। ये क्षेत्र किदवईनगर, नौबस्ता, दहेली सुजानपुर, कल्याणपुर आदि खंड के हैं। शहर में फीडर के पोल और डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर के साथ ही अर्थिंग के पाइप पड़े हुए हैं। पहले डाले गए अर्थिंग पाइप 30 से 40 फीट के आसपास के हैं, जबकि केस्को की ओर से नए अर्थिंग पाइप 60 फीट की बोरिंग कराकर डाले जा रहे हैं।

इस बार अधिकतम तापमान 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। गर्मी के कारण जहां लोगों के घरों में एसी, कूलर और पंखों का उपयोग बढ़ा, वहीं डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर पर लोड ज्यादा हो गया है। अत्यधिक जल दोहन वाले मोहल्लों में अर्थिंग के पाइप पहले से ही पानी का संकट झेल रहे थे और वर्षा न होने की वजह से पाइप को नमी भी नहीं मिल सकी। इसके असर से लो-वोल्टेज की दिक्कत शुरू हो गई।

अर्थिंग से रुकता लीकेज करंट
बिजली अधिकारियों के मुताबिक, फॉल्ट या अन्य किसी तकनीकी गड़बड़ी से करंट लीक करता है। यह किसी क्षेत्र में न फैले और उसकी चपेट में कोई न आ सके, उसके लिए जमीन में लोहे का पाइप और कॉपर की स्ट्रिप डालकर अर्थिंग कराई जाती है। उसके अंदर केमिकल भी पड़ता है। पहले की अर्थिंग में नमक और कोयला डाला जाता था।

इन क्षेत्रों में भूमिगत जल कम
भूगर्भ जल विभाग के पिछले वर्ष के पोस्ट मानसून के आंकड़ों के मुताबिक शहर के कई क्षेत्रों में भूमिगत जलस्तर कम है। यहां हुई बारिश से प्री मानसून के आंकड़ों की अगर तुलना की जाए तो जमीन के अंदर का पानी रिचार्ज जरूर हुआ, लेकिन स्तर फिर भी संतोषजनक नहीं है। विभाग की ओर से 2024 के प्री मानसून के डाटा जुटाए जा रहे हैं। यह डाटा सार्वजनिक स्थानों पर लगे पीजो मीटर से मिलते हैं।

श्यामनगर-  29.55
पनकी – 29.50
फजलगंज – 28.06
रेल बाजार – 27.55
रतनलालनगर – 26.66
नवाबगंज – 25.15
सिविल लाइंस – 24.30
कल्याणपुर – 23.85
बांसमंडी – 23.54
नौबस्ता – 22.22
विजयनगर – 20.15
(नोट : भूगर्भ जल का स्तर मीटर में है)

डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर के अर्थिंग पाइप में नमी के लिए नियमित पानी डाला जा रहा है। नमी कम होने की वजह से लो-वोल्टेज की समस्या होती है। यह कुछ क्षेत्रों में मिली है। – श्रीकांत रंगीला, मीडिया प्रभारी केस्को

अर्थिंग खराब होने से होते ये नुकसान
पावर और डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर की अर्थिंग खराब होने से ट्रांसफार्मर में फॉल्ट आने और फुंकने की आशंका रहती है। इसी कारण शहर में कई जगह ट्रांसफार्मर फुंके हैं। केस्को के मीडिया प्रभारी श्रीकांत रंगीला ने बताया कि अर्थिंग गड़बड़ होने से सबसे पहले करंट अनियंत्रित होता है, जिसके बाद तीन में से कोई एक फेज चले जाने की समस्या हो सकती है। अगर यह नहीं हुआ तो ट्रांसफार्मर बिगड़ने की नौबत आती है। ट्रांसफार्मर खराब होने से पहले कई बार पूरी लाइन में ट्रिपिंग भी हो सकती है। अर्थिंग ट्रांसफार्मर को डैमेज होने से बचाता है। अर्थिंग के लिए जमीन की नमी की जरूरत होती है। इस बार बारिश न होने से कई अर्थिंग पाइप में नमी की दिक्कत हो सकती है।

462 ट्रांसफार्मर की अर्थिंग कराई गई
केस्को के चीफ इंजीनियर सुनील गुप्ता के मुताबिक अर्थिंग ट्रांसफार्मर को खराब होने से बचाती है। इसकी वजह से वोल्टेज फ्लक्चुएशन की दिक्कत नहीं आती है। वोल्टेज ऊपर नीचे जरूर होता है, लेकिन उसका स्तर बहुत ज्यादा नीचे नहीं जाता है। अर्थिंग अगर सही तरीके से कार्य नहीं करती है तो अर्थिंग रेजिस्टेंस बढ़ जाता है। अमूमन ट्रांसफार्मर की सेहत के लिए अर्थिंग रेजिस्टेंस का स्तर तीन ओम (यूनिट) होना चाहिए। पिछले एक महीने पहले कराई गई जांच में कई ट्रांसफार्मर पर अर्थिंग रेजिस्टेंस 4.5 ओम से अधिक मिला। विभाग की ओर से 462 ट्रांसफार्मर के लिए 60 से 80 फीट तक की बोरिंग कराकर अर्थिंग कराई गई है। यहां जमीन के अंदर से बेहतर नमी मिल रही है। बाकी के ट्रांसफार्मर की अर्थिंग रेजिस्टेंस चेक कराया जाएगा।

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