कानपुर: DMSRDI ने बनाया ब्रह्मोस मिसाइल के लिए स्वदेशी ईंधन

रक्षा सामग्री एवं भंडार अनुसंधान एवं विकास स्थापना (डीएमएसआरडीई) कानपुर ने देश के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल की है। यहां के वैज्ञानिकों ने सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के लिए स्वदेशी ईंधन तैयार करने में सफलता हासिल की है। मिसाइल के लिक्विड रैमजेट में ईंधन का उपयोग किया जाएगा। इसका परीक्षण शुरू कर दिया गया है। अभी ईंधन को रूस से निर्यात किया जाता है।

जीटी रोड स्थित डीएमएसआरडीई में आयोजित पत्रकारवार्ता में यह जानकारी संस्थान के निदेशक और वैज्ञानिक डाॅ. मयंक द्विवेदी ने दी। उन्होंने बताया कि मिसाइल में उपयोग में आने वाला यह ईंधन माइनस 50 से माइनस 55 तापमान पर भी फ्रीज नहीं होगा। आठ से नौ महीनों में इसे तैयार किया गया है। परीक्षण के लिए इसे डीआरडीएल हैदराबाद भेजा गया है।

एंटी स्पाइक एंटी नेल शू भी तैयार किया
उन्होंने बताया कि संस्थान ने जवानों को नक्सलियों द्वारा मिट्टी के नीचे छिपाई गई नुकीली कीलों से बचाने के लिए एंटी स्पाइक एंटी नेल शू तैयार किया है। इसका भी परीक्षण शुरू कर दिया गया है। जूते का भार एक किलो से कुछ ज्यादा है। जूते के तल पर शीयर थिकनिंग जेल और अन्य फाइबर की परत लगाई गई है।

एंटी माइन जूता भी बनाया जा चुका है
जवानों की आवश्यकताओं के अनुसार नक्सल प्रभावित क्षेत्र के जंगल क्षेत्र में मिट्टी में छिपीं जहरीली नुकीली कीलों से सुरक्षा प्रदान करने के लिए जूता को विकसित किया गया। जूते के सोल के अंदर लचीले इंसर्ट के साथ बनाया गया है।
उन्होंने बताया कि 125 किलोभार तक एंटी माइन के विस्फोट से बचाने वाले एंटी माइन जूता भी बनाया जा चुका है। इसकी परीक्षण सीआरपीएफ कर रही है। इसका भार तीन किलो है। दुश्मन देश की सीमाओं व आसपास क्षेत्र में एंटी माइन लगी होती हैं।

जवानों की वर्दी और टेंट और होंगे सुरक्षित
निदेशक ने बताया कि नायलॉन 66 फाइबर भी तैयार कर लिया गया है। अभी इस तरह का फाइबर अमेरिका से आता था। इस फाइबर का मिश्रण करके सेना के जवानों की वर्दी और उनके टेंट या कपड़ा मैटीरियल को और सुरक्षित बनाया जा सकेगा। वर्दी में कोई लोहे या धातु से कट या सुई चुभने की संभावना नही होगी। वर्दी अलग-अलग मौसम के लिए भी अनुकूल रहेगी। एडवांस दंगा सुरक्षा सूट बनाया गया है। यह पुलिस या पैरामिलिट्री फोर्स को 360 डिग्री एंगल तक पूरे शरीर को सुरक्षित रखेगा। पत्थर आदि से जवान सुरक्षित रहेंगे। इसका भार 6.5 किलोग्राम है। इसका उत्पादन भी कई इकाइयां कर रही हैं।

पूर्व राष्ट्रपति की सबसे ऊंची प्रतिमा का अनावरण आज
निदेशक ने बताया कि पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम की पीतल की छह फीट इंच की प्रतिमा डीएमएसआरडीई में लगाई गई। इसका अनावरण डीआरडीओ के चेयरमैन डाॅ. समीर वी कामत रविवार को करेंगे। इसका वजन 220 किलो है। उनका दावा है कि इतनी ऊंची प्रतिमा केवल यहां स्थापित की जाएगी। चेयरमैन संस्थान के नए भवन की आधारशिला भी रखेंगे। उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति कार्यकाल पूरा करने के बाद मिसाइल मैन एक बार संस्थान आए थे। उन्होंने मिसाइल मैन के साथ लंबे समय तक काम किया।

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