कानपुर: गंगा में गंदगी गिरने पर 62 लाख का जुर्माना

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने परमिया नाला, रानीघाट नाला और सीवेज ट्रीटमेंट प्लाटों (एसटीपी) से गंगा में गंदगी बहाने पर 62 लाख रुपये जुर्माना लगाया गया है। इसमें से 30 लाख का जुर्माना नगर निगम पर और शेष एसटीपी का संचालन कर रही कानपुर रिवर मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड (केआरएमपीएल) कंपनी पर लगाया गया है। दोनों को नोटिस भी जारी किए गए हैं।

एनजीटी ने उन नालों का बायोरेमेडिएशन करने के आदेश दिए हैं, जो टैप नहीं हैं अर्थात जिनका गंदा पानी सीधे गंगा में जाता है। इसके मद्देनजर नगर निगम सत्तीचौरा, डबका सहित गंगा में गिर रहे तीन और पांडु नदी में गिर रहे रफाका सहित दो नालों का पानी बायोरेमेडिएश विधि से शोधित कर रहा है। हालांकि परमिया नाला अभी भी गंगा में जा रहा है। यूपीपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी अमित मिश्रा की जांच में इसकी पुष्टि हुई। उनके अनुसार पिछले साल नवंबर, दिसंबर, जनवरी और इस माह की जांच में नाले गंगा में गिरते नजर आए हैं। उन्होंने रिपोर्ट मुख्य पर्यावरण अधिकारी (वृत्त – 1) राजेंद्र सिंह को भेजी। मुख्य पर्यावरण अधिकारी ने नगर निगम पर प्रतिमाह पांच लाख रुपये की दर से पर्यावरणीय क्षति के मद में जुर्माना लगाया।

इसी तरह रानी घाट नाले में बायोरेमेडिएशन के लिए डोजिंग टैंक लगाए, पर गंदे पानी का शोधन नहीं किया। इस पर भी दो माह में 10 लाख रुपये जुर्माना लगाया गया है। इसी तरह जाजमऊ एसटीपी और बिनगवां एसटीपी से गंगा, पांडु नदी में गंदा पानी बहाने पर केआरएमपीएल पर 32 लाख रुपये जुर्माना लगाया गया है। इन दोनों प्लाटों से निकल रहे शोधित पानी में बीओडी ज्यादा था। जाजमऊ एसटीपी से 10 दिसंबर से 19 जनवरी तक गंदा पानी बहाया गया। इस प्रकार 39 दिन गंदगी बहाने पर 14.62 लाख रुपये जुर्माना लगा। इसी तरह बिनगवां स्थित 210 एमएलडी क्षमता के प्लांट से आठ दिसंबर से 23 जनवरी तक हुई जांच में आउटलेट में बीओडी मानक से ज्यादा मिला। इस वजह से कंपनी पर 17.25 लाख जुर्माना लगाया गया है।

केंद्रीय मंत्री कर गए दावा, पर नहीं मिली नाला टैप करने के लिए स्वीकृति
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और प्रदेश के जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने 16 फरवरी को जाजमऊ एसटीपी और निर्माणाधीन सीईटीपी का निरीक्षण किया था, तब केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने अगले साल प्रयागराज में होने वाले कुंभ से पहले नालों से गंदा में गंदगी न जाने देने का दावा किया था। हालत यह है कि रानीघाट, गोलाघाट, सत्तीचौरा सहित पांच नाले गंगा और पांडु नदि में गिर रहे हैं।

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