कानपुर: 20 साल बाद…न्यूनतम तापमान तीन डिग्री
कानपुर में दूसरे दिन शनिवार को भी कड़ाके की ठंड रही। 20 सालों का रिकॉर्ड तोड़कर न्यूनतम पारा दूसरे दिन भी तीन डिग्री सेल्सियस पर रुका रहा। मौसम विभाग का कहना है कि इस बार हिमालय पर भले ही बर्फबारी कम हुई है, लेकिन यूरोप और दक्षिण एशिया में जमकर बर्फबारी हुई है।
हवाएं वहीं से ठंड लेकर आ रही हैं। सीएसए के मौसम विभाग के प्रभारी डॉ. एसएन सुनील पांडेय का कहना है कि कोहरा और धुंध छाई रहेगी। इसके साथ पाला भी पड़ सकता है, जिससे फसलों को बचाना जरूरी है। शनिवार को दिन में हल्की धूप निकल आने की वजह से अधिकतम पारा, तो सामान्य औसत के लगभग नजदीक आ गया है।
न्यूनतम पारा औसत से 3.7 डिग्री सेल्सियस कम
वहीं, रात का न्यूनतम पारा अभी भी सामान्य औसत से 3.7 डिग्री सेल्सियस कम है। इसकी वजह से रात में कंपकंपा देने वाली ठंड पड़ रही है। यही स्थिति दो-तीन दिन तक बने रहने का मौसम विभाग का पूर्वानुमान है। मौसम विज्ञानी डॉ. पांडेय का कहना है कि वर्ष 2003 के बाद न्यूनतम पारा पहली बार तीन डिग्री पर आया है।
यूरोप की बर्फबारी की नमी और ठंडक आ रही है
उन्होंने बताया कि जेट स्ट्रीम हवाएं वैसे तो जमीन से चार से 14 किमी ऊपर बहती हैं। लेकिन सूर्य के दक्षिणायन होने की वजह से यह नीचे आ गई हैं। इसके अलावा सूर्य के भूमध्य रेखा के नीचे जाने पर धूप कम पड़ने लगती है। जेट स्ट्रीम हवाओं के नीचे की तरफ आने के कारण यूरोप की बर्फबारी की नमी और ठंडक यहां आ जा रही है।
शीत लहर बढ़ने के साथ कोहरा बढ़ जाएगा
इससे माहौल में गलन भी बढ़ गई है। इसके अलावा एक पश्चिमी विक्षोभ भी आ रहा है। इसका असर भी धीरे-धीरे आने लगा है। यह अभी अफगानिस्तान वाले क्षेत्र के आसपास है। सुबह और रात के समय शीत लहर बढ़ने के साथ कोहरा बढ़ जाएगा। इसके चलते लोगों को काफी सावधानी बरतनी चाहिए।
पाला से फसल बचाने को करें हल्की सिंचाई
सीएसए के मौसम विज्ञानियों का कहना है कि पाला से फसल को बचाने के लिए हल्की सिंचाई करें। इससे मिट्टी का तापमान बढ़ता है और नुकसान कम हो जाता है। एक लंबी रस्सी को दो लोग पकड़ें और सुबह एक कोने से दूसरे तक फसल को हिलाएं जिससे पत्तों पर जमा पानी गिर जाए। फसल पर रसायनों और लकड़ी की राख का छिड़काव कर सकते हैं। सड़े हुए छाछ का इस्तेमाल कीटनाशक के तौर पर किया जा सकता है। इससे आलू, मटर और सब्जियों की फसलों की पाला के नुकसान से बचत होगी।