पिछले वर्ष केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी रेट लागू होने के बाद से अब तक कई वस्तुओं पर रेट घटाने के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटलीइस बार के बजट में कुछ बड़ी घोषणा कर सकते हैं। इसके तहत जीएसटी के अभी चल रहे मौजूदा चार स्लैब में कमी की जा सकती है।
वित्त मंत्री ने किया इशारा
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को विश्व कस्टम दिवस पर इशारा किया कि जीएसटी के मौजूदा स्ट्रक्चर में बदलाव किया जा सकता है। अगर जीएसटी से होने वाली कमाई में किसी तरह की कमी नहीं होती है तो सरकार 28 फीसदी स्लैब में मौजूद कई आइटम के टैक्स रेट में कमी की जा सकती है।
जीएसटी से देश में हुआ बड़ा बदलाव
वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी के लागू होने के बाद से देश के इनडायरेक्ट टैक्स सिस्टम में एक बड़ा बदलाव आ गया है। इससे टैक्स का रेट काफी कम हो गया है।
जीएसटी के अभी हैं 5 स्लैब
अभी जीएसटी के तहत पांच स्लैब हैं – 0 फीसदी, 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी। गौरतलब है कि नवंबर में हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में 178 चीजों को 28 फीसदी के टैक्स ब्रैकेट से निकाल कर 18 फीसदी में लाने का फैसला किया गया था।
इसी तरह से 13 चीजों पर टैक्स को 18 फीसदी से घटाकर 12 फीसदी कर दिया गया । वहीं 8 चीजों को 12 फीसदी के टैक्स दायरे से निकालकर 5 फीसदी में रख दिया गया।
दिसंबर में जीएसटी कलेक्शन में हुई 7 फीसदी की बढ़ोतरी
दिसंबर में जीएसटी कलेक्शन में 7 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली। इससे 2018-19 के बजट से पहले पॉलिसी बनाने वालों को काफी राहत मिली है। इस बार के जीएसटी कलेक्शन से यह बात साबित होती है कि सिस्टम में स्थिरता आ गई है और आगे भी काफी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।
दिसंबर में जीएसटी कलेक्शन 86703 करोड़ रुपये रहा था। अक्टूबर में टैक्स कलेक्शन 83000 था। गौरतलब है कि सितंबर में जीएसटी कलेक्शन 92150 करोड़ रुपए था।
ईज ऑफ डूइंग में हो सकता है सुधार
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि कर विभाग सहित विभिन्न मशीनरियां मिलकर प्रयास करें तो विश्व बैंक के व्यापार सुगमता सूचकांक (बिजनेस इंडेक्स) में भारत की रैंकिंग में सुधार संभव है। भारत बिजनेस सूचकांक में शीर्ष-50 में आसानी से जगह बना सकता है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमारे लिए एक लक्ष्य तय किया है कि हमें टॉप-50 में आने की कोशिश करनी होगी और इसमें आना होगा। वित्त मंत्री ने कहा कि विश्व बैंक जिन दस मानकों की कसौटी रखता है।
उनमें से तीन सुधार वास्तव में जरूरी है। इनमें से एक तो जमीन और भवनों की स्थानीय निकाय मंजूरी से जुड़ी है। दूसरी सीमापार व्यापार और तीसरी अनुबंध कार्यान्वयन है। इन मानकों पर सुधार ज्यादा मुश्किल नहीं है।