TMC में शामिल हुए बीजेपी नेता चंदन मित्रा

राज्यसभा में एक बार नामित और दूसरी बार भाजपा की तरफ से निर्वाचित, वरिष्ठ पत्रकार और पूर्व राज्यसभा सदस्य चंदन मित्रा ने तृणमूल कांग्रेस ज्वाइन कर लिया. वह इससे पहले बीजेपी में थे. मित्रा के साथ सीपीएम से पूर्व सांसद मोइनुल हसन, कांग्रेस नेता सबिना यास्मिन और मिजोरम के एडवोकेट जनरल बिस्वजीत देव ने भी टीएमसी ज्वाइन कर लिया. इन सभी के टीएमसी में आने की जानकारी देते हुए राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि 15 अगस्त 2019 से पार्टी ‘बीजेपी हटाओ, देश बचाओ’ मुहीम की शुरुआत करेगी.

आडवाणी के थे करीबी

बता दें कि मित्रा की राज्यसभा सदस्यता 2016 में समाप्त हुई है. पायनियर अखबार के प्रबंध निदेशक और संपादक, मित्रा को भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी का करीबी माना जाता है. विभिन्न मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यही वजह थी कि वर्तमान भाजपा नेतृत्व के साथ उनका ताड़तम्य नहीं बैठ सका. वहीं, पिछले दिनों यूपी में हुए कैराना लोकसभा के उपचुनाव में भाजपा की हार के बाद चंदन मित्रा का पार्टी विरोधी बयान भी, उनके इस्तीफे की वजहों में से एक माना जा रहा है.

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कांग्रेस में भी जाने की अटकलें थीं

तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने डीएनए को बताया, ‘चंदन मित्रा को भाजपा के पुराने दिनों का नेता कहा जाता है. इसी वजह से पार्टी की नई ब्रिगेड में उनको तवज्जो नहीं मिल रही थी. यही कारण हैं कि मित्रा ने भाजपा को अलविदा कह दिया है.’ तृणमूल नेता ने अखबार को बताया कि सियासी गलियारों में चंदन मित्रा के कांग्रेस में जाने की भी अफवाहें थीं.

कैराना की हार पर पार्टी को चेताया था

अंग्रेजी अखबार पायनियर के संपादक चंदन मित्रा ने यूपी में कैराना लोकसभा उपचुनाव में भाजपा की हार पर तीखी टिप्पणी की थी. कैराना लोकसभा उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी की हार के बाद चंदन मित्रा ने कहा था कि पार्टी ने गन्‍ना किसानों की समस्याओं की ओर ध्‍यान नहीं दिया. इसी कारण उसे चुनाव में नुकसान उठाना पड़ा. उपचुनाव में मिली हार को भाजपा के लिए बड़ा झटका बताते हुए उन्‍होंने कहा था कि अगर विपक्ष इसी प्रकार एकजुट होता रहा तो वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा की वापसी आसान नहीं होगी. उन्होंने इसे ‘सीरियस सेटबैक’ बताया था. चंदन मित्रा के ऐसा बयान देने के बाद ही भाजपा में अंदरूनी तौर पर उनके खिलाफ विरोध दिखा था.

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