जेएनयू से लापता छात्र का सुराग देने वाले को सीबीआई देगी 10 लाख रुपये का इनाम

जेएनयू से लापता छात्र नजीब अहमद केस की जांच कर रही सीबीआई ने उसका सुराग देने वाले को 10 लाख रुपये इनाम देने की घोषणा की है. इससे पहले पुलिस ने इनाम की राशि 5 लाख रुपये रखा हुआ था. इस मामले की जांच पहले दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच कर रही थी, लेकिन बाद में दिल्ली हाई कोर्ट ने इसकी जांच सीबीआई को सौंप दिया.JNU missing student's clue

नजीब अहमद जेएनयू से लापता हुए करीब एक साल बीत चुके हैं. इस मामले की जांच दिल्ली हाई कोर्ट ने सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया, तो नजीब की मां को न्याय की उम्मीद जगी थी. इस मामले में दिल्ली पुलिस ने दोनों पक्षों के लिए पॉलीग्राफी टेस्ट की मांग की थी. दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि यदि जरूरत हो तो पॉलीग्राफ टेस्ट करा सकती है.

15 अक्टूबर, 2016 में नजीब अहमद जेएनयू कैंपस से लापता हुआ था. घटना वाली रात नजीब की किसी दूसरे गुट के साथ झगड़े की बात सामने आई थी. इसके बाद से कथित तौर पर नजीब ऑटो से कहीं जाने के लिए हॉस्टल से निकला था. इस मामले में दिल्ली पुलिस ने बहुत दिनों तक जांच की, लेकिन उनके हाथ खाली रहे. अब सीबीआई जांच में लगी है.

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बहुत हुई खोज, नहीं मिला कोई सुराग

नजीब के गायब होने के बाद पूरे देश में धरने और प्रदर्शन किए गए. इस मामले की जांच कर रही दिल्ली पुलिस ने दिन-रात एक कर दिया. 560 पुलिसकर्मियों की फौज और खोजी कुत्तों ने जेएनयू के चप्पे की खोजबीन की, इसके लिए कई तरह के अभियान चलाए गए, लेकिन नजीब का कोई सुराग तक नहीं मिला. उसका रहस्य अभी तक बरकार है.

आईएस के बारे में सर्च का आरोप

बताते चलें कि मीडिया रिपोर्ट में बताया गया कि नजीब गूगल और यूट्यूब पर दुनिया के खूंखार आतंकी संगठन आईएसआईएस के बारे में जानकारियां सर्च किया करता था. वह आईएस की विचारधारा, कार्यशैली और नेटवर्क के बारे में जानना चाहता था. हालांकि, दिल्ली पुलिस ने ऐसी किसी रिपोर्ट से इंकार करके आतंकी कनेक्शन की संभावना से इंकार कर दिया.

अलीगढ़ में नजीब को देखने का दावा

इससे पहले नवंबर, 2016 को पुलिस को एक चिट्ठी मिली थी, जिसमें अलीगढ़ की रहने वाली एक महिला ने लिखा था कि उसने नजीब को अलीगढ़ में देखा है. महिला ने दावा किया था कि उसने नजीब अहमद को अलीगढ़ के बाजार में देखा था. नजीब ने उससे मदद मांगी थी. उसे वहां बंद करके रखा गया था. किसी तरह वहां से भाग कर वह बाजार पहुंचा था.

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