जम्मू-कश्मीर: आरक्षण पर मुहर लगाने के बाद ही होंगे पंचायत चुनाव
ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) आयोग की आरक्षण की सिफारिशों पर नई सरकार की मुहर के बाद ही पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव का रास्ता साफ होगा। ओबीसी आयोग आरक्षण को लेकर काम कर रहा है। आगामी आरक्षण सिफारिशों की रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाएगी। लोकसभा और विधानसभा के सफल चुनाव संपन्न होने के बाद पंचायत चुनाव को लेकर राज्य चुनाव आयोग ने भी सक्रियता बढ़ा दी है। ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए पंचायतें अहम भूमिका निभाती हैं।
पंचायत चुनाव को लेकर राज्य चुनाव आयोग की वेबसाइट पर इसी माह के अंत तक पुराने मतदाताओं की सूची डालने की तैयारी की जा रही है, ताकि विशेष सारांश प्रक्रिया में मतदाता संशोधन करवा सकें। गत जुलाई के अंत में यूटी प्रशासन की ओर से तीन सदस्यीय ओबीसी आयोग का गठन किया गया था। इसमें सेवानिवृत्त न्यायाधीश जनक राज कोतवाल, सेवानिवृत्त आईएएस राज कुमार भगत और पूर्व डीन स्काॅस्ट जम्मू प्रो. मोहेंद्र सिंह को पंचायत और स्थानीय निकाय में ओबीसी आरक्षण पर रिपोर्ट देने की जिम्मेदारी दी गई थी।
इसमें आयोग को जम्मू-कश्मीर की कुल आबादी में ओबीसी वर्ग की संख्या, उसके प्रतिनिधित्व, पहले नगर निगम या अन्य व्यवस्था में कितना आरक्षण मिल रहा आदि पर अपनी रिपोर्ट देनी है। मोटे तौर पर स्थानीय निकाय स्तर पर ओबीसी आरक्षण का मूल्यांकन किया जाना है, जिसके बाद इसे पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव में अमल में लाया जाना है। चूंकि पहले जम्मू कश्मीर में कोई सरकार नहीं थी तो इस व्यवस्था पर यूटी प्रशासन मुहर लगा देता, लेकिन अब नियमों के तहत आयोग की सिफारिश रिपोर्ट नई सरकार के पास जाएगी।
जिसमें सरकार अपने स्तर पर आरक्षण तय करने का काम करेगी। इसमें यह भी एक पहलू हो सकता है कि आयोग की रिपोर्ट में जन प्रतिनिधि अपने विधानसभा क्षेत्र में ओबीसी आरक्षण पर कुछ संशोधन की मांग कर सकते हैं। इसमें शहरी और ग्रामीण दोनों स्तर पर आरक्षण को देखा जाना है।
पंचायत चुनाव के लिए पंचायत स्तर और स्थानीय निकाय चुनाव के लिए नगर निगम, नगपालिका, नगर परिषद स्तर पर आरक्षण को देखा जाना है। जिसके बाद ही उक्त दोनों चुनाव का रास्ता साफ होगा। जम्मू कश्मीर में पहली बार पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी को आरक्षण देने की व्यवस्था की जा रही है। ऐसा भी हो सकता है कि अगर आयोग को लगे कि पहले से ही संबंधित क्षेत्रों में ओबीसी को पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिल रहा है तो आरक्षण देना जरूरी नहीं समझा जाएगा। जम्मू कश्मीर में 9 जनवरी 2024 को पंचायतों का कार्यकाल खत्म हुआ था, जिसके बाद पंचायतों के विकास का काम संबंधित ब्लाक विकास अधिकारी (बीडीओ) देख रहे हैं। पंचायतों का पांच साल का कार्यकाल खत्म हो चुका है।
65 लाख मतदाता पंचायतों का भविष्य तय करेंगेपंचायतों के भविष्य का 65 लाख 85 हजार 263 मतदाता भविष्य तय करेंगे। हालांकि चुनाव तक संशोधन के बाद इस डेटा में बदलाव हो सकता है। इसमें नवंबर-दिसंबर में मतदाता सूचियों में संशोधन करना प्रस्तावित है। पंचायती राज अधिनियम के तहत सरकार द्वारा पंचायत चुनाव का फैसला लिया जाएगा, जिसमें राज्य चुनाव आयोग पारदर्शिता से चुनाव करवाने पर काम करेगा।
प्रदेश में 33597 पंच और 4291 सरपंच होंगे
जम्मू कश्मीर में 4291 पंचायतें हैं, जिसमें प्रत्येक पंचायत पर एक सरपंच होता है। इसी तरह 33597 पंचों के पद हैं। जम्मू संभाग में उधमपुर में 236, रामबन में 143, पुंछ में 229, डोडा में 237, कठुआ में 257, किश्तवाड़ में 136, सांबा में 101, रियासी में 153, राजोरी में 312, जम्मू में 305 और कश्मीर संभाग में कुपवाड़ा में 385, शोपियां में 98, गांदरबल में 126, बांदीपोरा में 151, पुलवामा में 190, श्रीनगर में 21, अनंतनाग में 335, बड़गाम में 296, बारामुला में 402 और कुलगाम में 178 पंचायतें स्थापित हैं।
ओबीसी आरक्षण के बाद होंगे चुनाव-आयुक्तराज्य चुनाव आयोग के राज्य चुनाव आयुक्त बीआर शर्मा का कहना है कि ओबीसी आरक्षण के तय होने के बाद पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव करवाए जाएंगे। ओबीसी आयोग इस पर काम कर रहा है। राज्य चुनाव आयोग भी अपने स्तर पर काम कर रहा है।