झुंझुनू: गुढ़ा के मैदान में आने से ढहा कांग्रेस का 21 साल पुराना गढ़

झुंझुनू में हुए उपचुनाव में भाजपा ने 21 साल बाद सबसे बड़ी जीत से खाता खोला। कांग्रेस का गढ़ कही जाने वाली इस सीट पर भाजपा उम्मीदवार राजेंद्र भांबू ने कांग्रेस के अमित ओला को भारी मतों से हराकर सीट अपने नाम की।

कांग्रेस की सबसे सुरक्षित मानी जाने वाली झुंझुनू सीट पर भाजपा की अप्रत्याशित जीत से कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी। 21 साल बाद भाजपा के राजेंद्र भांबू ने यहां से जीत दर्ज की है। सियासी जानकारों का कहना है कि भांबू के रूप झुंझुनू को स्थाई नेता मिल गया है।

गौरतलब है कि झुंझुनू उपचुनाव के त्रिकोणीय मुकाबले ने इसे रोचक बना दिया था। इसी के फलस्वरूप अब यहां जो चुनाव परिणाम आया है, वो भी बड़ा दिलचस्प है। यहां कांग्रेस से सांसद बृजेंद्र ओला के बेटे अमित ओला मैदान में थे, जिन्होंने बड़ी हार के साथ अपने राजनीतिक जीवन का खाता खोला है।

21 साल बाद ढहा कांग्रेस का किला

भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर उपचुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज करवाने वाले राजेन्द्र भाबूं को लगातार दो बार हार का सामना करना पड़ा था, अब इस जीत के बाद सियासी गलियारों में उनकी चर्चा आने वाले दिनों में भी बनी रहेगी। झुंझ़ुनू विधानसभा सीट 21 साल बाद भाजपा की झोली में आई है। यहां से लगातार चार बार जीत का स्वाद चख रहे बृजेन्द्रसिंह ओला के सांसद बनने के बाद खाली हुई इस सीट पर उनके पुत्र अमित ओला को मैदान में उतारा गया था लेकिन उन्हें अपने पहले ही चुनाव में बड़ी हार का सामना करना पड़ा और ओला परिवार की परंपरागत सीट पर ओला परिवार के उत्तराधिकारी अमित ओला बड़े अंतर से चुनाव हार गए।

निर्दलीय गुढ़ा ने लगाई सेंध

इन चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबले के कारण शुरू से ही सियासी गलियारों में चर्चा थी कि अगर भाजपा प्रत्याशी बड़ी जीत हासिल करते हैं तो इसमें अप्रत्यक्ष रूप से निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे लाल डायरी वाले पूर्व मंत्री राजेन्द्रसिंह गुढ़ा का बड़ा योगदान रहेगा और यही हुआ भी गुढ़ा ने कांग्रेस प्रत्याशी अमित ओला के परंपरागत अल्पसंख्यक वोटों में सेंध लगाई, जिससे भाजपा को इसका सीधा फायदा मिला।

गुढ़ा को मैनेज नहीं कर पाई कांग्रेस

सियासी गलियारों की मानें तो गुढ़ा ने कांग्रेस के अल्पसंख्यक मतों में चुनाव की घोषणा के साथ ही सेंध लगानी शुरू कर दी थी, जिसमें वे दिनोंदिन बढ़ोतरी करते रहे। कांग्रेस निर्दलीय के तौर पर गुढ़ा की चुनावी दौड़-धूप को काफी समय तक हल्के में लेती रही और यही उसकी हार का सबसे बड़ा कारण रहा।

गुढ़ा तीसरे स्थान पर रहे

उदयपुरवाटी के पूर्व विधायक राजेन्द्रसिंह गुढ़ा इन चुनावों में भले ही तीसरे स्थान पर रहे लेकिन इन चुनावों से उनके राजनीतिक भविष्य को काफी मजबूती मिल गई। हो सकता है कि भविष्य में वे उदयपुरवाटी की बजाय झुंझुनू से चुनाव लड़ना बेहतर समझें। इसका संकेत मतगणना के दौरान मीडिया सेंटर में बैठे राजेन्द्र सिंह गुढ़ा ने इशारों ही इशारों में दे दिया है।

कांग्रेस की हार के बड़े कारण यह रहे

कांग्रेस की हार के कई बड़े कारणों को देखा जाए तो भाजपा कई सालों बाद पहली बार बिना बागी के चुनाव लड़ी, हालांकि एकबारगी भाजपा के बबलू चौधरी बागी हुए थे लेकिन उन्हें तत्काल मना लिया गया। इसके साथ ही सीएम भजनलाल ने मंत्रियों सहित भाजपा नेताओं की फौज झुंझुनू में उतारकर पूरी रणनीति के साथ चुनाव लड़ा।

कांग्रेस की हार का बड़े कारणों में गहलोत सरकार से बर्खास्त मंत्री राजेन्द्र सिंह गुढ़ा का झुंझुनू से निर्दलीय चुनाव लड़ना रहा। वे कांग्रेस के परंपरागत अल्पसंख्यक वोटों को कुछ हद तक अपनी ओर खींचने में कामयाब रहे, जबकि भाजपा वोट बैंक अपने जगह से नहीं खिसका। कांग्रेस एक भी बड़े नेता ने झुंझुनू में सभा नहीं की और ना ही ओला परिवार ने इस चुनाव के दौरान अपनी चुनावी प्रचार की रणनीति में कोई बदलाव किया। लगातार होती इस चूक ने डैमेज कंट्रोल करने के बजाय बड़ा डैमेज कर दिया और इसके कारण कांग्रेस के ओला परिवार को बड़ी हार का सामना करना पड़ा।

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