JEE- NEET के खिलाफ इतने राज्य पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, पुनर्विचार याचिका की गई दायर
नयी दिल्ली। गैर भारतीय जनता पार्टी के शासन वाले राज्यों ने कोरोना महामारी के दौर में इंजीनियरिंग तथा मेडिकल में प्रवेश संयुक्त प्रवेश परीक्षा-जेईई तथा राष्ट्रीय योग्यता सह प्रवेश परीक्षा-नीट आयेाजित करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की है। इस बीच विपक्षी दलों की अगुवाई में विरोध प्रदर्शनों का दौर जारी है।
कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन तथा तथा महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री उदय सामंत ने शुक्रवार को यहां विशेष संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वे परीक्षा अयोजित करने के विरुद्ध नहीं हैं बल्कि उनका विरोध इस बात को लेकर है कि सरकार ने बच्चों की महामारी के संक्रमण से सुरक्षा तथा उनके आवागमन की सुविधा को ध्यान में रखे बिना आनन फानन में यह परीक्षा आयोजित करने का फरमान जारी किया है।
उन्होंने कहा कि इन परीक्षाओं में देश के 25 लाख बच्चों के शामिल होने का अनुमान है और जिस तरह से इनके आयोजन की व्यवस्था की गयी है उसे देखते हुए साफ है कि उनकी दिक्कतों तथा सुरक्षा की अनदेखी हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार अपने फैसले को सही साबित करने के लिए बार बार बच्चों के प्रवेश पत्र डाउनलोड करने का आंकड़ा दे रही है और यह सरकार का कुतर्क है। उनका कहना था कि जब परीक्षा की तिथि का फरमान जारी कर दिया गया है तो बच्चों का प्रवेश पत्र डाउनलोड करना शामिल है।
ब्रायन ने कहा कि यह 25 लाख छात्रों के जीवन का सवाल है और इस बारे में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दो दिन पहले सात राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ इस मुद्दे पर विचार विमर्श किया था जिसमें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश सिंह बघेल, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणस्वामी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे तथा झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हिस्सा लिया था। श्री सिंघवी ने कहा कि जिन सात राज्यों की बात की जा रही है वे देश की 30 प्रतिशत आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं तथा भारत की भूमि का 30 प्रतिशत क्षेत्रफल इन्हीं राज्यों की सीमा में है। करीब 25 लाख विद्यार्थी इन परीक्षाओं में शामिल हो सकते हैं। इसमें सुरक्षा और स्वास्थ्य की बात की गयी है कि जहां बच्चों की भीड़ होगी। सरकार ने बच्चों के स्वास्थ्य का ध्यान रखे बिना इन परीक्षाओं का आयोजन किया। छह माह से स्कूल कालेज बंद हैं और बच्चों ने कोई पढाई नहीं की तो अचानक इन परीक्षाओं का आयोजन गलत है।
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इस बीच विपक्षी दलों की अगुवाई में विरोध प्रदर्शनों का दौर जारी है। वाराणसी में कांग्रेस एवं समाजवादी पार्टी की छात्र इकाईयों ने वैश्विक कोरोना महामारी एवं देश के विभिन्न भागों में बाढ़ के मद्देनज़र राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) एवं संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) की परीक्षाएं स्थगित करने की मांग को लेकर शुक्रवार को अलग-अलग प्रदर्शन किया। लखनऊ समेत प्रदेश के कई शहरों और देश के कई प्रमुख शहरों में कांग्रेस कार्यकतार्ओं ने प्रदर्शन किया।
सोनिया ने कहा, फैसला छात्रों की सहमति से लिया जाए
मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस देशव्यापी प्रदर्शन कर रही है। सड़कों पर विरोध प्रदर्शन के साथ ऑनलाइन ‘स्पीकअप फॉर स्टूडेंट सेफ्टी’ अभियान भी चलाया हुआ है, जिसमें राजनेताओं के साथ आमजन की सहभागिता भी काफी हो रही है। इऩ सबके बीच कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी जेईई-नीट परीक्षा के आयोजन की वजह से छात्रों-युवाओं को किसी प्रकार के नुकसान को लेकर केंद्र सरकार को निशाने पर लिया है। उऩ्होंने कहा कि केंद्र को छात्रों के मन की बात को सुनते-समझते हुए फैसला लेना चाहिए। कांग्रेस पार्टी की ओर से जारी वीडियो संदेश में सोनिया गांधी ने कहा है कि स्टूडेंट हमारा भविष्य हैं। एक बेहतर भारत के निर्माण के लिए हम उन पर निर्भर हैं। इसलिए यदि उनके भविष्य के बारे में कोई भी निर्णय लिया जाना है तो वो उनकी सहमति से लिया जाना चाहिए। उन्होंने उम्मीद जताई कि मोदी सरकार छात्रों की बातों को सुनेगी और उसके अनुसार काम करेगी।
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