जम्मू: बर्फबारी न होने से पर्यटन और होटल व्यवसाय ठिठुरा

चिल्ले कलां में भी बर्फबारी न होने से कश्मीर से लेकर जम्मू तक पर्यटन व्यवसाय में मंदी छाई है। पर्यटन से जुड़े टूर एंड ट्रैवल, होटल व्यवसाय के साथ स्थानीय कारोबार बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। अमूमन दिसंबर और जनवरी में सैलानियों से पैक रहने वाले पटनीटॉप, नत्थाटॉप और सनासर में सूखा पड़ा है। पर्यटन स्थलों के होटलों में जो एडवांस बुकिंग हुई थी वे भी लगभग रद्द हो गई है। इससे जुड़े जम्मू के कारोबार पर भी बड़ा असर दिख रहा है।
पटनीटॉप में एक होटल के मैनेजर एसके बडियाल ने बताया कि कुद और पटनीटॉप में छोटे-बड़े पंजीकृत 62 होटल हैं, जो लगभग खाली पड़े हैं। दिसंबर भी ऐसे ही निकल गया। 31 दिसंबर के आसपास सैलानी पहुंचे थे, लेकिन बर्फबारी न होने से मायूस लौट गए। हर साल दिसंबर और जनवरी में पटनीटॉप लगभग पर्यटकों से भरा रहता है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। बर्फबारी न होने से स्थानीय स्तर पर पानी का संकट भी बढ़ेगा।
टूर एंड ट्रैवल बीसी रोड जम्मू के अध्यक्ष आशुतोष गुप्ता ने बताया कि पहले दिसंबर और जनवरी में रोजाना 200 से 300 छोटे वाहन पर्यटकों को लेकर कश्मीर के लिए जाते थे। पटनीटॉप, नत्थाटॉप और सनासर में रौनक रहती थी, लेकिन इस बार मंदी छाई है। इससे चालकों को ऋण की किस्तें निकालना भी मुश्किल हो रहा है। बर्फबारी न होने के कारण स्थानीय पर्यटन स्थलों के लिए बुकिंग नहीं हो रही। छोटे वाहनों में स्थानीय यात्री ही रवाना हो रहे हैं।
ऑल जम्मू होटल एंड लगेज एसोसिएशन के प्रधान पवन गुप्ता ने कहा कि जम्मू में पर्यटकों को रोकने के लिए पहले ही कोई आकर्षक स्थल विकसित नहीं किया गया। प्रकृति की मार से होटल व्यवसाय बुरी तरह से प्रभावित है।
बर्फबारी के चलते दिसंबर से फरवरी तक बड़ी संख्या में पर्यटक पटनीटॉप, नत्थाटॉप और कश्मीर के लिए जाते हैं, जिसमें कुछ प्रतिशत पर्यटक जम्मू में भी रुकते हैं, लेकिन बर्फबारी न होने के कारण इस साल पर्यटक नहीं पहुंचे।
जम्मू में लंबित कृत्रिम झील, मुबारक मंडी जैसी परियोजनाओं को शीघ्र पूरा किया जाना चाहिए। इसके साथ स्वर्ण मंदिर की तर्ज पर रघुनाथ मंदिर का विस्तार किया जाए, जिससे पर्यटकों को यहां रोका जा सके। शहर में ही 350 होटल हैं।