जम्मू-कश्मीर वाहन हादसा: बलिदान हुए सैनिकों का पार्थिव शरीर कर्नाटक पहुंचा
लांस हवलदार अनूप पुजारी की मौत की खबर से उडुपी जिले में शोक की लहर छा गई। वे 13 साल पहले भारतीय सेना में शामिल हुए थे। उनके परिवार में उनकी मां, पत्नी, दो बड़ी बहनें और एक डेढ़ साल की बेटी है।
जम्मू कश्मीर में पुंछ सेक्टर के मेंढर के बलनोई इलाके में सैनिकों का वाहन खाई में गिर गया। इस हादसे में बलिदान होने वाले मराठा लाइट इन्फेंट्री की 11वीं बटालियन के पांच में से तीन सैनिक कर्नाटक के रहने वाले हैं। कर्नाटक के रहने वाले सैनिकों की पहचान सूबेदार दयानंद तिरकन्नवर, सिपाही महेश नागप्पा मारिगोंडा और लांस हवलदार अनूप पुजारी के तौर पर की गई है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस हादसे में बलिदान हुए सैनिकों को अंतिम श्रद्धांजलि दी। सरकार बलिदानों के परिवार को नियमानुसार पूरी सहायता उपलब्ध कराएगी।।
टीम का नेतृत्व कर रहे थे सूबेदार तिरकन्नवर
इस टीम का नेतृत्व करने वाले सूबेदार तिरकन्नवर अगले साल 2025 में सेवानिवृत्त होने वाले थे। वे अपने माता-पिता, पत्नी और दो बच्चों के साथ रहते थे। सूबेदार तिरकन्नवर के पिता एक रिटायर्ड पोस्टमैन हैं। होनिहाल में बसने से पहले 30 वर्षों तक उन्होंने सांबरा गांव में सेवा की। सूबेदार तिरकन्नवर का सांबरा गांव से गहरा संबंध था। वे अक्सर वहां जाया करते थे। यह दुखद समाचार उनके परिवार वालों को छिपाया गया। हालांकि, बुधवार शाम तक उन्हें इस घटना के बारे में बता दिया गया था।
सिपाही महेश की तीन साल पहले ही हुई थी शादी
सिपाही महेश मारिगोंडा पिछले छह वर्षों से 11वीं मराठा रेजिमेंट में कार्यरत थे। उनके परिवार में उनकी पत्नी, मां, एक छोटी बहन और एक छोटा भाई है। तीन साल पहले ही उनकी शादी हुई थी। महेश की मौत की खबर से पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई। तिरकन्नवर और मैरीगोंडा का पार्थिव शरीर गुरुवार को बेलगावी पहुंचेगा। इसके बाद उनके गांव में पार्थिव शरीर को भेज दिया जाएगा।
उडुपी में लांस हवलदार पुजारी की मौत की खबर से छा गई शोक की लहर
लांस हवलदार अनूप पुजारी की मौत की खबर से उडुपी जिले में शोक की लहर छा गई। वे 13 साल पहले भारतीय सेना में शामिल हुए थे। उनके परिवार में उनकी मां, पत्नी, दो बड़ी बहनें और एक डेढ़ साल की बेटी है। उनके एक रिश्तेदार ने बताया कि पुजारी ने एनसीसी कैडेट के रूप में अच्छा प्रदर्शन किया था। पीयूसी के बाद वे सेना में शामिल हुए थे। अपने 13 साल के करियर में उन्होंने जम्मू-कश्मीर और मणिपुर में सेवा की। वे अपनी सेवानिवृत्ति के बाद के जीवन की भी तैयारी कर रहे थे। उनका पार्थिव शरीर बुधवार देर रात एक बजे बेलगावी से मंगलुरु अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा पर पहुंचा। उनका अंतिम संस्कार बीजाडी समुद्र तट के पास किया जाएगा।