जम्मू-कश्मीर : प्रदेश में बडगाम के बाद नगरोटा सीट खाली हुई

नगरोटा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक देवेंद्र सिंह राणा के निधन से इस विस क्षेत्र की सीट खाली हो गई है। इससे पहले मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बडगाम सीट को जीतकर छोड़ा था, जिससे अब प्रदेश में दो विधानसभा सीटें खाली हो गई हैं। 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को नगरोटा में राणा के मजबूत जनाधार से लाभ मिला था, जिसने उसके बहुमत के आंकड़े को बढ़ाया। इस सीट पर पिछले पांच विधानसभा चुनाव में भाजपा और नेकां के बीच टक्कर रही है। अब भी नगरोटा सीट पर उपचुनाव में भाजपा और नेकां के बीच लगभग टक्कर रहने के आसार हैं।

इस बार विधानसभा चुनाव में राणा ने 48113 वोट हासिल करके प्रतिद्वंद्वी नेकां के जोगेंद्र सिंह को 30472 वोट से हराया था, जो इस सीट पर अब तक की सबसे बड़ी जीत है। राणा ने सर्वाधिक वोट हासिल करके प्रदेश में नया रिकाॅर्ड भी बनाया था। इससे पहले राणा ने वर्ष 2014 में नेकां की ओर से नगरोटा सीट से 23678 वोट हासिल करके जीत दर्ज की थी। इससे पहले वर्ष 2008 और 2002 के विधानसभा चुनाव में भाजपा सांसद जुगल किशोर लगातार दो बार विधायक बने थे। उससे पहले 1996 में नेकां से अजात शत्रु ने जीत हासिल की। नगरोटा विधानसभा क्षेत्र में राजपूत, मुसलिम, ब्राह्मण सहित अन्य वोट बैंक हैं।

सिविल इंजीनियरिंग में माहिर थे, मालिक होते हुए भी खुद गाड़ियां ठीक करने लग जाते
दिवंगत देवेंद्र सिंह राणा कई भाषाओं को जानने के साथ सिविल इंजीनियरिंग में माहिर थे। उन्होंने 1986 में एनआईटी कुरुक्षेत्र से बीएससी इंजीनियरिंग (सिविल) की। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह कामकाज में लग गए। आटोमोबाइल क्षेत्र में धीरे धीरे उनकी पकड़ मजबूत होती चली गई। उनके पास मारुति, टाटा, हार्ले डेविडसन सहित कई बड़ी कंपनियों की फ्रैंचाइजी थीं। वह एक आलराउंडर के रूप में माने जाते थे। डोगरा चौक पर एक डेढ़ साल रेस्टोरेंट चलाया। आटो मोबाइल क्षेत्र में वह ऐसी शख्सियत थी जो मालिक होकर भी खुद ही गाड़ियां धोने या ठीक करने में लग जाते थे। ऐसा करते हुए उन्हें कई बार लोगों ने देखा है। वह यह सब करके यह दिखाते थे कि मेहनत करके ही कुछ हासिल किया जा सकता है।

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