मोहाली के वेरका प्लांट पर जड़ा ताला: किसानों ने वेरका प्लांट के गेट किए बंद
ट्राइसिटी के लोगों को अब दूध की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। फैट परसेंटेज की मात्रा निर्घारित करने के विरोध में फेज-6 स्थित वेरका प्लांट का मुख्य गेट दुग्ध उत्पादकों ने ताला जड़कर बंद कर दिया और प्रदर्शन शुरू कर दिया। इस वजह से मोहाली की मुख्य सड़क पर जाम भी लग गया और भीतर काम करने वाले कर्मचारी घबरा गए। यह स्थिति शाम तक बनी रही। सुबह चार बजे जाने वाली सप्लाई के बाद कोई भी सप्लाई वेरका मिल्क प्लांट से नहीं जा सकी।
वेरका द्वारा गांव में दूध प्रोड्यूसर के लिए गाय और भैंस के दूध की फैट परसेंटेज को निर्धारित कर दिया है। इससे ज्यादा या कम फैट होने पर दूध को स्वीकारा नहीं जाएगा। इसके लिए हर गांव में बने ब्लॉक मिल्क कूलर (बीएमसी) में कंप्यूटर द्वारा ही दूध की जांच की जाएगी। जहां पहले यह जांच मैनुअल तरीके से की जाती थी। धरना दे रहे दुग्ध उत्पादकों ने बताया कि अगर कभी कंप्यूटर में या बीएमसी में बने वजन तोलने वाली मशीन में किसी भी तरह की टेक्निकल दिक्कत आती है तो उतने दिन तक उन किसानों का दूध नहीं खरीदा जाएगा।
ऐसे में किसान परेशान है कि वह उन दिनों में अपने दूध को कहां लेकर जाएगा। इस पर रोष में आए पूरे जिले से दूध उत्पादकों ने धरना प्रदर्शन किया। उन्होंने वेरका के उच्च अधिकारी से गुहार लगाई कि वे बनाए इन न्यू रूल को रद्द करें।
छुट्टी के बाद अंदर फंसे करीब 300 वर्करदूध उत्पादकों के धरने के दौरान सभी गेट पर ताले लगा दिए। इस पर जब शाम पांच बजे वेरका कर्मचारियों की छुट्टी हुई तब उन्होंने भी बाहर नहीं जाने दिया गया। कई बार बहस और गुजारिश के बाद 45 मिनट बाद महिला कर्मचारियों को प्रदर्शनकारियों ने बाहर आने के लिए इजाजत दे दी। इसके बाद महिला कर्मचारी अपने घर जा सकीं। पुरुष कर्मियों को दो घंटे बाद भी जाने नहीं दिया गया।
खरड़-मोहाली रोड पर लगा जामसुबह करीब 10 बजे से ही प्रदर्शनकारियों की गाड़ियां वेरका प्लांट के सामने आकर खड़ी होनी शुरू हो गई थी। सुबह लोगों के ऑफिस जाने के समय और शाम को घर लौटते समय इस सड़क भयंकर जाम लगा। इससे कई गाड़ियों ने पीछे से ही अपने रूट बदल लिए और कुछ गाड़िया काफी देर तक जाम में ही फसी रहीं।
न्यू मिल्क प्रोड्यूसर पर लगाई रोक
वेरका के साथ साझेदारी में हर गांव में एक सोसाइटी का गठित की गई। जहां गांव के किसान अपने दूध को लाकर देते थे, जहां से उसे वेरका के लिए भेजा जाता था और दूध के हिसाब से उन्हें पैसे मिलते थे। सोसायटी में कोई भी गांव का निवासी दूध लाकर बेच सकता था, परंतु वेरका द्वारा इन सोसायटी पर रोक लगा दी गई जिससे वह किसी भी न्यू मिल्क प्रोड्यूसर से दूध नहीं ले सकेंगे।
फैट परसेंटेज पर है फाइट
अब मैनुअल इंट्री को बंद कर सारा काम कंप्यूटराइज्ड कर दिया गया है। इसके चलते केवल जिस गाय के दूध की फैट परसेंटेज 3.3 से लेकर 4.5 तक और भैंस के दूध के फैट परसेंटेज 5 से लेकर 10 तक होगी वो ही सिस्टम में एंट्री के काबिल होंगे। इससे पहले मैन्युअल तरीके से जब दूध को दूध उत्पादकों से लिया जाता था तो हर परसेंटेज वाले दूध का स्वीकार किया जाता था और उसके मुताबिक दूध का रेट लगाया जाता था।