जम्मू-कश्मीर का खजाना खाली; केंद्र से मदद की उम्मीद, बोले सीएम उमर अब्दुल्ला
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में खजाना खाली है। यहां की वित्तीय स्थिति खराब है। हमारी दिल्ली से बातचीत चल रही है। हालांकि प्रदेश की माली हालत का खराब होना कोई नई बात नहीं। हम 30-35 साल तक मुश्किल हालात में रहे हैं। उम्मीद है कि अब जल्द इससे बाहर निकल आएंगे। इसके लिए हमें केंद्र से मदद की जरूरत है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मल सीतारमण ने आश्वस्त किया है कि वे मदद देंगे। हालांकि, हमें खुद अपने पैरों पर भी खड़े होने के लिए तैयार होना होगा। जम्मू में मंगलवार को एक कन्क्लेव में सीएम ने कहा कि राज्य के दर्जे के साथ अनुच्छेद 370 की बहाली के लिए संघर्ष जारी रहेगा।
जम्मू-कश्मीर में नशा मुक्ति केंद्र की स्थापना होना एक महत्वपूर्ण कदम है। उम्मीद है कि केंद्र इस प्रयास में सहायता देगा। नेकां के चुनावी घोषणापत्र में 12 गारंटियों को पूरा करने के सवाल पर उमर ने कहा कि यूटी में ये गारंटियां पूरी करना मुश्किल है। इसके लिए हम पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं। हाल ही में सोनमर्ग टनल के उद्घाटन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वादे पूरे करने का आश्वासन दिया है। पूरी उम्मीद है कि जल्द जम्मू-कश्मीर राज्य का दर्जा बहाल होगा।
प्रशासन में ड्यूल कंट्रोल, केएएस हमारे पास तो आईपीएस, आईएएस राजभवन के पास
उमर ने माना कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन में ड्यूल कंट्रोल से काम हो रहा है। जेकेएएस अधिकारियों का हम स्थानांतरण कर रहे हैं, लेकिन आईएएस, आईपीएस राजभवन से होता है। कैबिनेट का फैसला उपराज्यपाल के पास जाता है और उनके हस्ताक्षर के बाद ही उस पर अमल होता है। कानून व्यवस्था दिल्ली के नियंत्रण में है।
इससे पहले जम्मू कश्मीर में चुनी हुई सरकार में कैबिनेट तय करती थी कि डीसी, एसपी, आईजी, डिवकाॅम और मुख्य सचिव किसको लगाया जाए। लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा है। हालांकि हमें इन्हीं के साथ काम करना है। मगर कमांड और कंट्रोल हमारे हाथ में नहीं है। हम फिर भी काम कर रहे हैं और मुझे यकीन है कि यह हालात ज्यादा देर तक नहीं रहेंगे।
बजट में संतुलन बनाने का प्रयास करेंगेमुख्यमंत्री ने कहा कि मैं वित्त वर्ष 2025-26 के बजट के संबंध में कोई टिप्पणी नहीं करूंगा, लेकिन हम निश्चित रूप से संतुलन बनाने का प्रयास करेंगे। जम्मू कश्मीर में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन इसे बढ़ाने के लिए और विकास की जरूरत है।
मैं भी तत्काल जम्मू-कश्मीर राज्य के दौरान केंद्रीय मंत्री और प्रधानमंत्री रहा हूं, लेकिन आज यूटी में अलग चुनौतियां हैं। हमने कोशिश की है कि लोगों के बीच तालमेल बने। हमारे मंत्री और अधिकारी लोगों से संपर्क बढ़ा रहे हैं। हम लोगों से वादे पूरे करने की कोशिश कर रहे हैं। मेरे चुनाव जीतने के बाद ही अन्य दल मुझे गले लगाने के लिए क्यों दौड़े।