मुश्किल हो रहा है जिद्दी बच्चों को संभालना, तो इन टिप्स की मदद से तुरंत मनवाएं अपनी बात!

बच्चे जैसे जैसे बड़े होते हैं वैसे वैसे चुनौतियों का रूप बदलते जाता है। एक समय ऐसा आता है जब हमारी परवरिश उनकी पर्सनेलिटी डेवलेपमेंट और उनके चरित्र के निर्माण के लिए बेहद आवश्यक हो जाता है। बच्चे की जिद और गुस्सा तभी हैंडल किया जा सकता है जब पेरेंट्स पॉजिटिव एप्रोच रखें और इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे के अंदर उसका बचपना बना रहे।

बच्चे कुछ कारणों से जिद कर सकते हैं जैसे जब उन्हें ऐसा महसूस हो कि उन्हें सुना नहीं जा रहा है, वे थके और कन्फ्यूज हों या फिर अपनी भावनाओं को शब्द देने में असमर्थ हों। ऐसे में पेरेंट्स को जिद्दी बच्चे से डील करने का सही तरीका पता होना चाहिए। तो आइए जानते हैं कि पेरेंट्स क्या करें जब बच्चा कर रहा हो ज़िद-

शांत रहें

इमोशनल हो कर गुस्से या फ्रस्ट्रेशन में रिएक्ट न करें। इससे बच्चे की जिद बढ़ती ही जाएगी।

अपनी लड़ाइयां खुद चुनें

छोटी छोटी बातों पर बच्चों को टोकना बंद करें। इससे आपके बात मानने की अहमियत उन्हें नहीं दिखेगी और वे आपकी जरूरी बात को न मानने की जिद करेंगे।

ऑप्शन दें

इससे उन्हें सेंस ऑफ कंट्रोल महसूस होता है जिससे वे कम ज़िद्दी होते हैं। जैसे कि उन्हें ये ऑर्डर देने की जगह कि जूते पहनो, उन्हें ये ऑप्शन दें कि वे लाल जूते पहनना पसंद करेंगे या नीला।

नो मतलब नो ही रखें

जो भी नियम बनाएं उससे स्टिक करें। अगर आप एक बार ना बोलकर दुबारा बच्चे की जिद के आगे झुक जाते हैं तो इससे उन्हें इस बात की परमिशन मिल जाती है कि वे जिद कर के आपकी ना को हां में बदल सकते हैं।

मोटिवेट करें

मात्र नियम थोपने से बच्चे दबाव में आ कर किसी काम को करते हैं और फिर अकेले में कुढ़ते हैं। इसलिए बीच बीच में बच्चे को मोटिवेट करें, उनकी तारीफ करें, उन्हें गिफ्ट दें, और उन्हें बताएं कि ये उनके अच्छे व्यवहार के लिए उन्हें मिला है।

भाषा पॉजिटिव रखें

आप पॉजिटिव तरीके से बच्चे से बात करें। उन्हें डराने,धमकाने, मारने और उनसे बहस करने की जगह उन्हें गलत चीज की जिद करने का परिणाम समझाएं और सीमाएं तय करते हुए उन्हें इस बात का भी एहसास कराएं कि आप हर हाल में उनके साथ हैं लेकिन उनकी जिद को आप कतई पूरा नहीं कर सकते।

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