ये काम करने में नहीं हुआ था सफल, आज है SONY कंपनी के मालिक

मैं एक समृद्ध कारोबारी घराने में पैदा हुआ था। पिता चाहते थे कि पढ़ाई खत्म करने के बाद मैं अपने परिवार के काम में हाथ बंटाऊं। पर मेरी रुचि कहीं और थी। जब मैं हाई स्कूल में था, तब पिता ने मुझे एक इलेक्ट्रॉनिक फोनोग्राफ लाकर दिया था। मैं उसकी आवाज से काफी प्रभावित था। उसी दौरान इलेक्ट्रॉनिक्स के प्रति मेरी रुचि जगी। खाली समय में मैं इलेक्ट्रॉनिक्स की पढ़ाई करता था। इसी क्रम में मैंने अपना रेडियो और फोनोग्राफ बनाया, हालांकि टेप रिकॉर्डर बनाने में मैं सफल नहीं हुआ।
ये काम करने में नहीं हुआ था सफल, आज है SONY कंपनी के मालिक
मेरी जिद पर पिता ने छोटे भाई को पारिवारिक काम में लगा दिया और मेरा ओसाका इम्पीरियल यूनिवर्सिटी में दाखिल हो गया। दूसरे विश्वयुद्ध के समय मैं नौसेना में शामिल हुआ, जहां मेरी मुलाकात मासारू इबुका से हुई। बाद में इबुका मेरे बिजनेस पार्टनर बने और मेरी जिंदगी बदल गई। विश्वयुद्ध के बाद 500 डॉलर की पूंजी से हमने टोक्यो टेलीकम्युनिकेशन कंपनी खोली, फिर उसका नाम बदलकर सोनी कर दिया।

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शुरू में हमने एम्प्लीफायर और टेप रिकॉर्डर बनाए। हमारे बनाए राइस कुकर में चावल पकने से ज्यादा जल जाते थे। हमारे सौ से भी कम कुकर बिके, पर मैंने हार नहीं मानी। हमें पहली बड़ी सफलता 1955 में मिली, जब हमने ट्रांजिस्टर रेडियो बनाया। मैं इसकी व्यावसायिक संभावना तलाशने अमेरिका गया। वहां बुलोवा वॉच कंपनी के एजेंट ने एक लाख ट्रांजिस्टर खरीद लेने की बात की, पर शर्त यह रखी कि ट्रांजिस्टर बुलोवा के नाम से बिकेगा। वह बहुत बड़ा ऑफर था और हमें मिलने वाली रकम सोनी की कुल पूंजी से भी अधिक थी। इबुका और बोर्ड के दूसरे लोगों ने मुझे ऑफर स्वीकार लेने को कहा, पर मैंने वह ऑफर ठुकरा दिया।

वह फैसला मेरे बिजनेस करियर का सर्वश्रेष्ठ फैसला था। बाद में एक वितरक इन्हें सोनी के नाम से बेचने के लिए तैयार हो गए और इस तरह इलेक्ट्रानिक्स की दुनिया में सोनी और जापान का सितारा बुलंद होना शुरू हुआ। अमेरिका में रहते हुए अमेरिकियों के संगीत के प्रति प्रेम को देखकर हमने वॉकमैन तैयार किए। पहला पॉकेट साइज रेडियो, पहला एफएम रेडियो, पहला ऑल ट्रांजिस्टर टीवी सेट तथा घर में इस्तेमाल होने वाला पहला वीसीआर तैयार करने का श्रेय सोनी को ही जाता है।

 
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