गर्मी से निजात दिलाने में बेहद असरदार है शीतली प्राणायाम, लेकिन इन लोगों को करना चाहिए अवॉयड

बढ़ते तापमान में अगर आपने जरूरी सावधानियां नहीं बरतीं, तो आप हीट स्ट्रोक, चक्कर, मतली, मांसपेशियों में ऐंठन जैसी कई समस्याओं के शिकार हो सकते हैं। घर के अंदर तो आप एसी, कूलर व पंखे से राहत पा सकते हैं, लेकिन ये मौसम उन लोगों के लिए ज्यादा खतरनाक है, जिन्हें बाहर काम के सिलसिले में निकलना पड़ता है। ऐसी स्थिति में गर्मी से बचाए रखने में एक प्राणायाम कर सकता है आपकी काफी मदद, इसका नाम है शीतली प्राणायाम। आइए जानते हैं इसके बारे में।

शीतली प्राणायाम
शीतली प्राणायाम में शीतल का मतलब होता है ठंडक और ये ठंडा करता है हमारे पैरा सिम्पथैटिक नर्वस सिस्टम को स्टिम्युलेट करके, जिससे बॉडी रिलैक्स होती है और शरीर की गर्मी बाहर निकलती है। आयुर्वेद के अनुसार शरीर में तीन दोष होते हैं- वात, पित्त और कफ। पित्त बढ़ना मतलब शरीर की अग्नि बढ़ना, जिससे बहुत ज्यादा गर्मी लगती है। शीतली प्राणायाम इसे ही शांत करता है।

शीतली प्राणायाम करने का तरीका
मैट पर सुखासन मुद्रा में बैठ जाएं। आंखें बंद कर लें।
जीभ को बाहर की ओर निकालें और इसे अंदर की तरफ मोड़ें। एक पाइप की तरह जीभ को मोड़ना है।
अब जीभ से हवा को अंदर की ओर खींचना है।
फिर जीभ को अंदर कर मुंह को बंद कर लें और अपनी ठुड्डी को सीने से लगाएं। यहां सांस को रोकना है।
फिर सिर ऊपर की ओर करते हुए दाएं नाक को उंगली से बंद कर लें और सांस को बाएं नाक से बाहर निकालें।

किन लोगों को नहीं करना चाहिए शीतली प्राणायाम
लो बीपी होने पर
अस्थमा होने पर
ब्रोंकाइटिस की समस्या में
बलगम की समस्या में

शीतली प्राणायाम के फायदे
शरीर को ठंडा करता है।
थकान दूर करता है, जिससे नींद अच्छी आती है।
लिवर के फंक्शन को सही रखता है।
स्किन रैशेज, दाने बहुत आते हैं, तो उसे भी दूर करता है।
हाइपरटेंशन वालों के लिए फायदेमंद होता है।
गुस्सा शांत करता है।
तनाव, घबराहट दूर करता है।
एसिडिटी की समस्या भी दूर करता है।
इम्युनिटी बढ़ाने में मददगार है।
शीतली प्राणायाम से बॉडी हाइड्रेट भी रहती है।

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