इस घंटाघर के नीचे दफन है बड़ी रियासत का राजा! ससुर ने उड़ा दी थी दामाद की गर्दन
हिमाचल प्रदेश का मंडी शहर भी ऐतिहासिक है. शहर के बीच में इंदिरा मार्केट है. यहां का घंटाघर मंडी की शान है. 28 फरवरी 1939 को मंडी रियासत के तत्कालीन राजा जोगेंद्र सेन की मौजूदगी में स्टेटस फोर्सज मिलिटरी एडवाइजर-इन-चीफ सर आर्थर एम. मिल्न ने इसका शुभारंभ किया था. जहां यह घंटाघर बना है, उस स्थल का इतिहास 300 वर्ष से अधिक पुराना है. यह स्थल आज भी मंडी और भंगाल रिसायत की दुश्मनी की कहानी को ताजा रखता है.
वर्तमान में इंदिरा मार्केट के बीच में स्थित घंटाघर को पूर्व में संकन गार्डन के नाम से भी जाना जाता था. 17वीं शताब्दी के राजा सिद्ध सेन से इसका संबंध है. इस स्थान को पूर्व में सिद्ध सर के नाम से भी जाना जाता था. इतिहासकार के अनुसार, राजा सिद्ध सेन की बेटी का विवाह भंगाल रियासत के राजा पृथ्वीपाल से हुआ था. भंगाल बहुत बड़ी रियासत थी. रियासत के एक ओर 14,000 फुट ऊंचा पहाड़ तो दूसरी ओर उफनती नदी थी. राजा का किला बहुत ऊंचाई पर था, जहां शत्रुओं का पहुंचना खतरे से खाली न था.
पत्नी लौट गई मायके
इतिहासकार ने बताया कि राजा पृथीपाल रंगीन मिजाज का राजा था. उसकी अय्याशी से रानी परेशान थी. उसने कई बार पति को समझाया कि वह रियासत व अपनी प्रजा पर ध्यान दे. पति के आचरण से हताश होकर रानी एक दिन अपने मायके लौट आई. बेटी को अकेला आया देख सिद्धसेन को दाल में कुछ काला नजर आया. रानी ने रोते हुए अपने पति के बारे में पिता को सब कुछ बता दिया. दामाद द्वारा की जा रही अवहेलना से राजा सिद्धसेन आग-बबूला हो गए. उन्होंने दामाद को सबक सिखाने का मन बनाया. वह एक तीर से दो शिकार करना चाहते थे। बेटी के तिरस्कार का बदला और भंगाल रियासत पर कब्जा.
तब ससुर ने किया दामाद का कत्ल
राजा सिद्धसेन ने अपना दूत भंगाल भेजा और संदेश में मंडी आने का निमंत्रण दिया. राजा के विश्वासपात्र वजीरों ने राजा को सलाह दी कि वह मंडी न जाएं. इसमें उन्हें षड्यंत्र का आभास हो रहा है. पृथीपाल ने उनकी एक न सुनी और दूत के साथ मंडी के लिए रवाना हो गया. सिद्धसेन ने दामाद को महल में नजरबंद कर दिया. पृथीपाल को अपनी भूल का एहसास हुआ. सुकेत के राजा की सहायता से वह महल से बाहर आ गया. जब वह सुकेत के दूत के साथ ब्यास नदी पार कर रहा था तो कश्ती के मल्लाहों ने उसे पहचान लिया और राजा सिद्धसेन को इसकी खबर कर दी. राजा ने आवेश में दामाद का वध कर सिर सिद्ध सर तालाब के बीच और पैर व बाजुओं को चारों कोनों में दबा दिया. पति की निर्मम हत्या से रानी को बड़ा सदमा लगा.
बाद में वहीं बना घंटाघर
मंडी के इतिहासकार आकाश शर्मा ने लोकल 18 को बताया कि पहले के लोग बिल्कुल भी एक दूसरे के साथ गलत नहीं करते थे, लेकिन जब कोई दूसरा गलती करता था तो उसे छोड़ा नहीं जाता था. यही कारण है कि बड़े भंगाल के राजा का यह हाल हुआ, लेकिन उसके बाद समय परिवर्तन हुआ और यहां के राजा द्वारा घंटाघर का निर्माण करवाया गया और बंगाल से कारीगर यह पहुंचे और एक बड़ी घड़ी को यहां स्थापित किया. आज के समय में घंटाघर के आसपास मार्केट बनी हुई है.