ISRO चीफ का बड़ा एलान; इन मिशनों पर हो रहा काम

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष डा. वी. नारायणन ने कहा कि चंद्रयान और मंगलयान जैसी ऐतिहासिक सफलताएं अर्जित की गई हैं, लेकिन आने वाले समय में हमारी महत्वाकांक्षाएं और भी बड़ी हैं।
उन्होंने कहा कि भारत अब अपने अंतरिक्ष अन्वेषण को एक कदम और आगे बढ़ाते हुए शुक्र ग्रह की ओर भी जाएगा। इस दिशा में शुक्रयान (वीनस आर्बिटर मिशन) को मंजूरी मिल गई है। इस मिशन के तहत भारत एक अंतरिक्ष यान को शुक्र ग्रह की कक्षा में स्थापित करेगा, जो वहां के वातावरण, सतह और भूगर्भीय गतिविधियों का अध्ययन करेगा।
मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनएनआइटी) के 22वें दीक्षा समारोह में बतौर मुख्य अतिथि डा. नारायणन ने भारत की भविष्य की अंतरिक्ष योजनाओं का विस्तृत खाका प्रस्तुत किया।
‘पहली ही कोशिश में पहुंचेगे शुक्र तक’
उन्होंने कहा कि भारत अब केवल अंतरिक्ष तकनीक में आत्मनिर्भर नहीं है, बल्कि आने वाले वर्षों में वैश्विक नेतृत्व की ओर बढ़ रहा है। भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने वाला पहला देश बना। पहले ही प्रयास में मंगल की दूरी नाप ली और पहले ही प्रयास में शुक्र तक भी पहुंचेंगे। भारत का अगला बड़ा कदम नेक्स्ट जेनरेशन लांच व्हीकल (एनजीएलवी) का विकास होगा। यह प्रक्षेपण यान पूरी तरह से पुन: प्रयोग योग्य होगा और इसकी क्षमता वर्तमान लांचरों से कहीं अधिक होगी। यह एसएलवी-3 से 1000 गुणा अधिक शक्तिशाली और वर्तमान एलवीएम-3 से तीन गुणा अधिक क्षमता वाला होगा।
गगनयान मिशन को लेकर भी आया अपडेट
इसरो अध्यक्ष ने कहा कि बहुप्रतीक्षित गगनयान मिशन अपने अंतिम चरण में है। निकट वर्षों में इसका पहला मानव रहित मिशन प्रक्षिप्त किया जाएगा। इस मिशन के तहत भारतीय अंतरिक्ष यात्री सुरक्षित रूप से अंतरिक्ष यात्रा कर वापस लौटेंगे। भारत का लक्ष्य है कि वर्ष 2035 तक अपना भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस) स्थापित करें। इसके लिए प्रारंभिक माड्यूल की तैनाती 2027 से ही शुरू हो जाएगी।
आगे कौन-कौन से मिशन होने वाले हैं लॉन्च?
उन्होंने कहा कि भारत के चंद्र मिशन यहीं समाप्त नहीं होंगे। चंद्रयान-चार को ‘सैंपल रिटर्न मिशन’ के रूप में संचालित किया जाएगा, जिसमें चंद्रमा से मिट्टी और चट्टानों के नमूने पृथ्वी पर लाए जाएंगे। चंद्रयान-5 जापान की अंतरिक्ष एजेंसी जेएएक्सए के सहयोग से किया जाएगा।
डा. नारायणन ने कहा कि भारत का लक्ष्य है कि वर्ष 2040 तक भारतीय अंतरिक्ष यात्री पूरी तरह स्वदेशी मिशन के तहत चंद्रमा पर उतरें और सुरक्षित वापस लौटें। 2047 तक जब देश स्वतंत्रता की शताब्दी मनाएगा, तब तक हमारा लक्ष्य है कि भारत एक पूर्ण विकसित राष्ट्र के रूप में अंतरिक्ष विज्ञान और तकनीक में विश्व का अग्रणी केंद्र बने।