इजरायली सुरक्षा बलों के साथ संघर्ष में 17 फिलिस्तीनी प्रदर्शनकारियों की मौत

गाजा सीमा पर इजरायली सुरक्षा बलों के साथ संघर्ष में कम से कम 17 फिलिस्तीनी प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई और 1400 से ज्यादा लोग घायल हो गए. प्रदर्शनकारी भूमि दिवस (लैंड डे) के मौके पर प्रदर्शन कर रहे थे. यह जानकारी संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीन के विशेष प्रतिनिधि रियाद मंसूर ने दी. सीएनएन के अनुसार, इजरायली अधिकारियों ने अनुमान लगाते हुए कहा कि हजारों फिलिस्तीनी प्रदर्शनकारी शुक्रवार को गाजा में इजरायल और फिलिस्तीन की सीमा पर लगी बाड़ की तरफ बढ़ते हुए ‘वापसी का महान जुलूस’ विरोध नामक प्रदर्शन कर रहे थे.

जुलूस का उद्देश्य था कि फिलिस्तीनी अपने वापसी का अधिकार को मानते हुए उन कस्बों और गांवों में वापस जा रहे थे, जहां से साल 1948 में इजरायल के निर्माण के बाद उनके परिवारों को भगाया गया. सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, जुलूस उस समय खूनी बन गया जब फिलिस्तीनी प्रदर्शनकारी और इजरायली सेना आमने-सामने आ गए.

प्रवक्ता ने समाचार एजेंसी एफे से कहा कि हमास द्वारा शुक्रवार को भूमि दिवस पर आहूत किए गए प्रदर्शन के दौरान करीब 2000 अन्य फिलीस्तीनी घायल हो गए।. प्रदर्शनकारी फिलिस्तीनी शरणार्थियों व उनके वंशजों के अपने देश लौटने की अनुमति देने की मांग कर रहे थे. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, गाजा के 20 लाख लोगों में से आधे से अधिक शरणार्थी हैं.  इजरायली डिफेंस फोर्सेज (आईडीएफ) ने एक बयान में कहा कि गाजा पट्टी सुरक्षा बाड़े से लगे पांच जगहों पर 17,000 फिलिस्तीनी दंगा कर रहे हैं. 

पैतृक घर पहुंचकर भावुक हुई मलाला

 

बयान में कहा गया, “विद्रोही टायर जला रहे हैं व सुरक्षा बाड़ व आईडीएफ जवानों पर फायरबम व पत्थर फेंक रहे हैं. आईडीएफ जवान इन्हें तितर-बितर करने के की कोशिश कर रहे हैं और प्रमुख दंगाइयों पर गोलीबारी कर रहे हैं.” जुलूस के आयोजकों ने जुलूस से पहले कहा था कि जुलूस शांतिपूर्ण रहेगा, लेकिन उन्होंने इजरायली सेना के हमले की संभावना से भी चेता दिया था. फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने कहा कि इन मौतों के लिए इजरायली प्रशासन जिम्मेदार है और उन्होंने शनिवार को शोक का दिन घोषित कर दिया। इस दौरान हजारों लोगों ने मृतकों के अंतिम संस्कार में भाग लिया. संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने प्रदर्शन में हुई मौतों के मुद्दे पर स्वतंत्र जांच कराने का आदेश दिया है.  संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने आपातकालीन सत्र के बाद हिंसा की निंदा की.

 

Back to top button