IPS पूरण कुमार सुसाइड केस: सीएम मान बोले- पंजाब की बेटी है अमनीत

हरियाणा के आईपीएस वाई पूरण कुमार आत्महत्या मामले में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान खुलकर पीड़ित परिवार के साथ आ गए हैं। शनिवार को सीएम पहले दिवंगत आईपीएस की आईएएस पत्नी पी. अमनीत कुमार से मिले और उसके बाद उन्होंने पंजाब के गवर्नर गुलाब चंद कटारिया से मुलाकात की। सीएम ने गवर्नर से इस मामले में हस्तक्षेप कर पीड़ित परिवार को न्याय दिलवाने की बात रखी। सीएम ने कहा कि कोई अफसर चहेता हो सकता है लेकिन कानून से ऊपर नहीं, बचाना ठीक नहीं है।

सीएम ने कहा कि अमनीत पंजाब की बेटी हैं और हर बेटी को अपने मायके से उम्मीद रहती है कि वहां उसका सुख-दुख जरूर साझा होगा। लिहाजा इंसाफ के लिए यह भाई अमनीत के साथ डटकर खड़ा है। अमनीत ने उनसे कहा है कि वे लोग नौकरीपेशा हैं। नौकरी करनी है और आगे दो बेटियों का भविष्य भी बनाना है, लिहाजा वे लोग सिर्फ इंसाफ मांग रहे हैं कुछ और नहीं। सीएम के अनुसार वे सिस्टम को बताना चाहते हैं कि यह परिवार को कोई ब्लैकमेलर नहीं है। इस मामले में किसी से कोई सौदेबाजी नहीं करनी हैं। सभी पढ़े-लिखे हैं इसलिए अपने पति के लिए इंसाफ मांगने में क्या गलत है। क्यों कुछ लोग आरोपी अफसरों को बचाने में जुटे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अमनीत ने उन्हें यह भी बताया है कि वे सीएम के साथ जापान गई थीं और 8 अक्तूबर को लौट आईं। उन्होंने 9 अक्तूबर को ही आईपीएस पति के शव का पोस्टमार्टम करवाने को कह दिया था। बस एफआईआर दर्ज करने की शर्त रखी थी। अफसरों को बचाने वाले यह भी बता दें कि इसमें क्या गलत है।

मान ने कहा कि एफआईआर हुई तो आरोपियों के कॉलम में आरोपियों का नाम ही गायब कर दिया गया। क्या यह किसी साजिश का हिस्सा तो नहीं। सिस्टम बताए कि उसने ऐसा क्यों किया और उनके मन में क्या है। सीएम ने आरोप लगाते हुए कहा कि इस एफआईआर में कुछ लोगों को बचाने के लिए टेंपरिंग की जा सकती है। उनके अनुसार अमनीत वही बेटी है जिसने हरियाणा में सरकार के बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान को प्रभावशाली ढंग से लागू करवाया। आज वही बेटी इंसाफ के लिए इंतजार कर रही है। पूरे परिवार सदमे में हैं और बूढ़े मां-बाप अपने बेटे की मौत का असहनीय बोझ झेल रहे हैं।

दलित विरोधी मानसिकता पर साधा निशाना
मुख्यमंत्री ने कहा कि गरीब लोगों का बड़ी कुर्सी पर बैठना कुछ लोगों को सहन नहीं होता। सीजेआई हों या फिर आईपीएस पूरण कुमार, उच्च पदस्थ होते हुए भी दोनों को कुछ लोगों की दलित विरोधी मानसिकता का शिकार होना पड़ा। आईपीएस ने तो इसका जिक्र अपने सुसाइड नोट में भी किया है। बाबा साहेब आंबेडकर को भी ऐसी ही पीड़ा झेलनी पड़ी थी। आईपीएस को इस कदर अपमानित किया गया कि उन्हें आत्महत्या का रास्ता चुनना पड़ा। आईपीएस ने अपनी प्रताड़ना के बारे में कई बार अपने आला अधिकारियों को अवगत करवाया था, उसके बावजूद उनकी शिकायतों पर संज्ञान क्यों नहीं लिया गया। मान ने कहा कि मैं हरियाणा के सीएम और केंद्र सरकार से आग्रह करता हूं कि परिवार को इंसाफ दिलवाया जाए। इसके लिए मैं हरियाणा के सीएम से भी बात करूंगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि वे भी नीचे से उठकर गैर राजनीति पृष्ठभूमि से आते हैं इसलिए आए दिन विरोधी उन्हें और केजरीवाल को गालियां देते रहते हैं।

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