सोनी समाज की धर्मशाला के उद्घाटन समारोह पर अंतरिम रोक, जानें कोर्ट ने क्यों दिया ये आदेश
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जिला एवं सेशन न्यायालय सिरोही ने मुरलीधर मंदिर के पास निर्मित सोनी समाज की धर्मशाला के 10 फरवरी को प्रस्तावित उद्घाटन समारोह पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश दिया है। न्यायालय ने आयोजकों को निर्देश दिया है कि धर्मशाला निर्माण में दिए गए सहयोग राशि के संयुक्त शिलालेख में सभी दानदाताओं व उनके परिवार का नाम अंकित कर परिसर में स्थापित किया जाए। यदि ऐसा नहीं किया जाता है, तो उद्घाटन समारोह पर यह रोक बनी रहेगी।
न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत
परिवादी प्रवीण कुमार ने न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत करते हुए बताया कि वर्ष 2015 में समाज की ओर से भवन निर्माण का प्रस्ताव पारित किया गया था। इस दौरान चढ़ावे के रूप में सहयोग राशि एकत्रित की गई थी, जिसमें यह तय हुआ था कि राशि देने वालों का नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित किया जाएगा। परिवादी ने धर्मशाला भवन में लिफ्ट निर्माण के लिए संपूर्ण राशि समाज के अध्यक्ष व कमेटी मेंबर्स को अदा कर दी थी, लेकिन अभी तक लिफ्ट का निर्माण नहीं हुआ है। इसके अतिरिक्त तल मंजिल में फर्श एवं पार्किंग का कार्य भी अधूरा पड़ा है। वर्तमान में भवन का निर्माण कार्य लगभग 25 प्रतिशत अधूरा है, बावजूद इसके समाज के अध्यक्ष व पदाधिकारी उद्घाटन समारोह आयोजित करने की तैयारी कर रहे हैं।
उद्घाटन समारोह पर रोक लगाने की मांग
परिवादी ने बताया कि समाज के अध्यक्ष व पदाधिकारियों ने उद्घाटन समारोह के लिए निमंत्रण पत्रिका छपवाई है, जिसमें उनका और उनके परिवार का नाम एवं फोटो दुर्भावनावश शामिल नहीं किया गया, जबकि अपने करीबी लोगों के नाम और फोटो प्रकाशित किए गए हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने भवन निर्माण में अधिकतम राशि का योगदान दिया है और चढ़ावे की संपूर्ण राशि भी अदा कर दी है। अध्यक्ष और पदाधिकारी निर्माण में हुए आय-व्यय का कोई हिसाब समाज के सदस्यों को नहीं दे रहे हैं। इसके अलावा, भवन निर्माण की स्वीकृति और नक्शा नगर परिषद से अनुमोदित नहीं कराया गया है। ऐसे में जब तक लिफ्ट और अन्य कार्य पूरे नहीं हो जाते, तब तक उद्घाटन समारोह पर रोक लगाई जाए।
न्यायालय का आदेश
न्यायालय ने अपने आदेश में उद्घाटन समारोह पर अंतरिम रोक लगाने का निर्णय लिया है। आदेश में कहा गया है कि समाज भवन या धर्मशाला के उद्घाटन समारोह के लिए की गई संपूर्ण तैयारियों को ध्यान में रखते हुए यह निर्देश दिया जाता है कि आयोजक धर्मशाला परिसर में एक संयुक्त शिलालेख स्थापित करें, जिसमें सभी दानदाताओं व उनके परिवार के नाम अंकित किए जाएं। इस शिलालेख की फोटो दोनों पक्षों की उपस्थिति में खींचकर न्यायालय में पेश करने का घोषणा पत्र प्रस्तुत किया जाए। यदि ऐसा किया जाता है तो उद्घाटन समारोह आयोजित किया जा सकता है, अन्यथा 10 फरवरी को होने वाला उद्घाटन समारोह स्थगित रहेगा।