मुक्ताई नगर में दिलचस्प मुकाबला: ननद के खिलाफ प्रचार कर रही सगी भाभी, उलझन में एकनाथ खडसे
कभी भाजपा के दिग्गज नेता रहे एकनाथ खडसे की पुत्री रोहिणी खडसे खेवलकर की राह इस बार आसान नहीं लग रही है। दूसरी बार विधानसभा चुनाव लड़ रहीं रोहिणी के खिलाफ उनकी सगी भाभी एवं केंद्र सरकार में राज्यमंत्री रक्षा खडसे प्रचार कर रही हैं।
मुक्ताई नगर विधानसभा क्षेत्र कभी भारतीय जनता पार्टी के मजबूत गढ़ों में से एक माना जाता था। लेवा पाटिल समाज से आनेवाले नेता एकनाथ खडसे यहां से लगातार छह बार चुनकर विधानसभा में पहुंचे थे। साल 2009 से 2014 तक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहते हुए 2014 में तो वह भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार भी थे। हालांकि, वह मुख्यमंत्री नहीं बन सके।
आरोपों के चलते पिता नहीं बन पाए सीएम
दरअस, मंत्री रहते हुए कुछ गंभीर आरोप लगने के बाद उन्हें मंत्री पद से भी इस्तीफा देना पड़ा। इन्हीं आरोपों के कारण 2019 में पार्टी ने उनका टिकट काटकर उनकी बेटी रोहिणी खडसे को पहली बार विधानसभा का टिकट दिया, लेकिन वह शिवसेना के बागी चंद्रकांत पाटिल से चुनाव हार गईं।
बेटी के हारने के बाद खडसे की ओर से आरोप लगाया गया कि शिवसेना से गठबंधन के बावजूद भाजपा के ही कुछ नेताओं ने मुक्ताई नगर से शिवसेना का बागी उम्मीदवार खड़ा करवाकर रोहिणी को हरवा दिया। हालांकि, भाजपा 2014 से ही जलगांव की रावेर लोकसभा सीट से लगातार खडसे की बहू रक्षा खडसे को टिकट देती आ रही है और वह लगातार जीत भी रही हैं। इस बार तो वह केंद्र में युवा एवं खेल मंत्रालय में राज्य मंत्री भी हैं।
बाप-बेटी ने 2019 में ज्वाइन की थी राकांपा
साल 2019 की हार के बाद अपने पिता एकनाथ खडसे के साथ रोहिणी भी शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) में शामिल हो गईं। वहां उन्हें राकांपा महिला मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया और उनके पिता एकनाथ खडसे को विधान परिषद की सदस्यता दी गई। अब 2024 के विधानसभा चुनाव में रोहिणी एक बार फिर मुक्ताई नगर सीट से ही राकांपा (शरदचंद्र पवार) की उम्मीदवार हैं।
भाभी क्यों कर रही ननद के खिलाफ प्रचार?
इस बार भी उनके सामने वर्तमान विधायक चंद्रकांत पाटिल ही शिवसेना (शिंदे) के अधिकृत उम्मीदवार हैं। इसलिए केंद्रीय मंत्री रक्षा खडसे के सामने परिवार और पार्टी में से एक को चुनने की स्थिति बन गई है।रक्षा खडसे कहती हैं कि चूंकि शिवसेना (शिंदे) का गठबंधन भाजपा से है, इसलिए वह अपनी ननद रोहिणी खडसे का प्रचार करने के बजाय शिवसेना (शिंदे) के उम्मीदवार चंद्रकांत पाटिल का प्रचार करेंगी। भाजपा की ओर से उन्हें पूरे उत्तर महाराष्ट्र में भाजपा नीत सत्तारूढ़ गठबंधन महायुति के प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
खडसे के सामने है ये दुविधा
वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे के लिए भी असमंजस की स्थिति है। लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने भाजपा के टिकट पर तीसरी बार लोकसभा चुनाव लड़ रही अपनी बहू रक्षा खडसे के पक्ष में प्रचार किया, तो अब विधानसभा चुनाव में उन्हें राकांपा (शरदचंद्र पवार) के टिकट पर चुनाव लड़ रही अपनी बेटी रोहिणी खडसे खेवलकर के लिए प्रचार करना पड़ रहा है।
भाजपा में वापसी के लग रहे कयास
लोकसभा चुनाव के पहले से ही कहा जा रहा था कि खडसे की भाजपा में वापसी हो सकती है, लेकिन अब तक तो यह संभव नहीं हो सका है। कुछ सप्ताह पहले खुद खडसे ने कहा था कि उन्हें भाजपा की ओर से राज्यपाल बनाने का आश्वासन दिया गया था। यह आश्वासन भी अब तक पूरा नहीं हुआ है।फिलहाल तो खडसे के पारिवारिक एवं राज्य के राजनीतिक समीकरणों को देखते हुए रोहिणी खडसे की राह बहुत आसान नहीं लग रही है, क्योंकि भाजपा नेताओं की पहली प्राथमिकता इस समय महायुति के ही अधिक से अधिक उम्मीदवारों को जिताना है।