गणतंत्र दिवस पर झंडा फहराने के बजाय हो गया ये कांड! विधायक भी थे अंजान

गणतंत्र दिवस पर बालाघाट के कटंगी में एक ऐसा वाकया हुआ, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. दरअसल, संविधान लागू हुए 75 साल बीत जाने के बावजूद आम लोग तो दूर जनप्रतिनिधियों को भी झंडा फहराने और ध्वजारोहण के बीच का अंतर नहीं मालूम. इसी कन्फ्यूजन में कटंगी में बड़ी फजीहत हो गई और वीडियो वायरल हो गया. हालांकि, वायरल वीडियो के बाद बहुत लोगों को जानकारी भी हुई.

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में दावा किया जा रहा है कि गणतंत्र दिवस पर झंडा फहराने की बजाय ध्वजारोहण किया गया. ये वीडियो बालाघाट के कटंगी शहर का है. हालांकि, लोकल 18 इस दावे की पुष्टि नहीं करता है. लेकिन, वीडियो में राष्ट्रीय ध्वज नीचे से ऊपर जाता दिखाई जरूर पड़ रहा है. हर साल की तरह इस साल भी कटंगी के गांधी चौक में गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम मनाया जा रहा था.

ये लोग थे मौजूद
यहां पर नगर परिषद अध्यक्ष कविता देशमुख ने राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बजाय ध्वजारोहण किया. इस दौरान सत्ताधारी दल के विधायक गौरव सिंह पारधी, पूर्व विधायक टामलाल सहारे सहित अन्य विभागों के अधिकारी भी मौजूद रहे. लोगों का कहना है कि इस घटना से जाहिर हो रहा है कि जनप्रतिनिधि संविधान के प्रति कितने जागरूक हैं. हालांकि, जब लोकल 18 ने विधायक से मामले के बाबत पूछा तो उनकी तरफ से स्पष्ट जवाब नहीं मिला. वहीं, आयोजकों से भी संपर्क नहीं हो पा रहा है.

इसे कहते हैं ध्वजारोहण
वहीं, मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता नवेंदु मिश्रा ने बताया कि हम सभी जानते हैं कि हमारा देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था. ऐसे में जब हम आजादी की वर्षगांठ पर फ्लैग होस्टिंग यानी ध्वजारोहण करते हैं, तब झंडा नीचे बांधा जाता है और उसे रस्सी से खींचकर ऊपर उठाया जाता है. फिर फहराया जाता है. इस दिन लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं. झंडे को नीचे से ऊपर ले जाकर फहराना इस बात का प्रतीक है कि भारत ने 200 सालों की गुलामी की जंजीरों को तोड़कर आजादी हासिल की थी.

ये होता है झंडा फहराना
26 जनवरी 1950 को हमारे देश में संविधान लागू हुआ था. इस तारीख को हर साल हम गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं. इसमें झंडा पहले ही खंभे के ऊपर बंधा होता है और सिर्फ उसे खोलकर फहराया जाता है. यह इस बात का प्रतीक है कि भारत एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र है.

Back to top button