वक्फ बोर्ड की 500 से ज्यादा संपत्तियों की जांच शुरू, बड़ा खुलासा संभव

वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को लेकर सरकार सतर्क हो गई है और केंद्र सरकार ने इस पर पैनी नजर बनाई हुई है। तेजी से हो रहे अतिक्रमण, कब्रिस्तान, मस्जिद और अन्य जमीनों से जुड़े घोटालों की जांच के लिए देशभर में अधिकारियों की नियुक्ति कर उन्हें भेजा जा रहा है। मध्यप्रदेश के तीन जिलों—भोपाल, इंदौर और देवास—की 108 संपत्तियों की औचक जांच की जा रही है। वक्फ संपत्तियों की पुष्टि के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली का तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल मध्यप्रदेश के दौरे पर आया है।
इस निरीक्षण में भोपाल की 37, इंदौर की 35 और देवास की 36 संपत्तियों को शामिल किया गया है। भोपाल जिले में मीर अनम फिरोज के साथ मोहम्मद तारिक और मोहम्मद हुजैफा, इंदौर में मोहम्मद अबुजर के साथ मोहम्मद उस्मान और जुनैद गनी, और देवास में सिद्धार्थ प्रकाश के साथ मोहम्मद आबिद खान व अब्दुल रहमान इस कार्य की निगरानी कर रहे हैं। यह टीम 9 मार्च तक वक्फ संपत्तियों का सर्वेक्षण और ऑनलाइन सत्यापन प्रक्रिया की समीक्षा करेगी।
वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर लंबे समय से अनियमितताएं चल रही हैं। कई मामलों में क्रय-विक्रय की अनुमति अनधिकृत रूप से देकर जमीनों का नामांतरण करवा दिया गया है। सरकारी रिकॉर्ड में यह भी सामने आया है कि कई निजी जमीनों को भी वक्फ बोर्ड के नाम दर्ज करा दिया गया था। यहां तक कि कुछ मंदिरों की भूमि भी बोर्ड के खाते में जोड़ दी गई थी। इस तरह की त्रुटियों की पहचान कर उन्हें सुधारा जाएगा और वास्तविक वक्फ संपत्तियों की सूची तैयार की जाएगी।
इंदौर जिले में इस संबंध में गहन जांच चल रही है। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, जिले की जूनी इंदौर तहसील में 187, देपालपुर में 136, सांवेर में 105, महू में 93, हातोद में 38, भिचौली हप्सी में 15, खुड़ैल में 24, मल्हारगंज में 19 और राऊ में 18 संपत्तियों की जांच की जा रही है। इनमें से जूनी इंदौर क्षेत्र की 187 संपत्तियों में कई मल्हारगंज तहसील में भी पाई गई हैं, जिससे आंकड़ों में बदलाव हुआ है।
हाल ही में किए गए सर्वेक्षण के अनुसार, इंदौर जिले में 500 से अधिक वक्फ संपत्तियों की पहचान की गई है। प्रशासन अब इन जमीनों का सत्यापन कर रहा है, जिससे यह स्पष्ट होगा कि कितनी संपत्तियां वास्तव में वक्फ बोर्ड के अधिकार क्षेत्र में हैं। इस जांच के बाद बड़े खुलासे होने की संभावना है, जिससे अवैध रूप से दर्ज की गई संपत्तियों पर कार्रवाई संभव होगी।