भारत के रक्षा कवच में नहीं लगेगी सेंध, पलभर में खाक होगा दुश्मन का विमान
दुश्मनों के लड़ाकू विमान, ड्रोन अब भारत के अचूक रक्षा कवच में सेंध नहीं लगा सकेंगे। इतना ही नहीं दुश्मनों को भागने या बच निकलने का भी मौका नहीं मिलेगा। कहीं से भी लांच करने में सक्षम भारत की पूर्ण स्वदेशी पोर्टेबल रक्षा कवच या वीएसएचओआरएडीएस (बेहद कम दूरी की वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली) दुश्मनों के विमानों, ड्रोनों और अन्य हवाई खतरों को पलभर में ही मार गिराएंगी।
भारत ने राजस्थान के पोखरण फायरिंग रेंज में शनिवार को वीएसएचओआरएडीएस के तीन सफल परीक्षण किए। इस दौरान वीएसएचओआरएडीएस मिसाइल लक्ष्य को भेदने और मार गिराने में सफल रही। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चौथी पीढ़ी की वीएसएचओआरएडीएस मिसाइलों के उड़ान परीक्षणों के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय सेना को बधाई दी है।
डीआरडीओ ने किया है विकसित
उन्होंने कहा कि आधुनिक तकनीकों से लैस यह नई मिसाइल सशस्त्र बलों को हवाई खतरे के खिलाफ और अधिक सशक्त करेगी। रक्षामंत्री के कार्यालय ने एक्स पर पोस्ट किया, ‘डीआरडीओ इंडिया ने पोखरण से चौथी पीढ़ी की तकनीकी रूप से उन्नत वीएसएचओआरएडीएस के तीन उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक किए हैं।’
बता दें कि वीएसएचओआरएडीएस पोर्टेबल वायुरक्षा प्रणाली है, जिसे डीआरडीओ के रिसर्च सेंटर इमारत रीसर्च (आरसीआई) ने अन्य डीआरडीओ प्रयोगशालाओं और भारतीय उद्योग भागीदारों के सहयोग से स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है। मिसाइल में लघु प्रतिक्रिया नियंत्रण प्रणाली (आरसीएस) और एकीकृत एवियोनिक्स सहित कई प्रौद्योगिकियां शामिल हैं।
कम दूरी के हवाई खतरों को करेगी बेअसर
इस मिसाइल को हवाई खतरों को कम दूरी पर बेअसर करने के लिए डिजाइन किया गया है। इसकी उच्च अनुकूलित डिजाइन के कारण इसे आसानी से ले जाया जा सकता है। यह एयर डिफेंस सिस्टम रूस के एस-400 की तरह है। इसका वजन 20.5 किलोग्राम और लंबाई 6.7 फीट है। यह अपने साथ दो किलोग्राम वजन का हथियार ले जा सकती है। इसकी रेंज 250 मीटर से छह किलोमीटर तक है। अधिकतम गति 1800 किलोमीटर प्रतिघंटा है।