
तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने शुक्रवार को कहा कि भारत और चीन को सीमा विवाद को बातचीत और शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाना चाहिए. दलाई लामा की टिप्पणी भारत और चीन के बीच कोर कमांडर-स्तरीय बैठकों के 16वें दौर से पहले आई है, जो 17 जुलाई से शुरू होने की उम्मीद है. चीन और भारत के बीच गलवान घाटी और लद्दाख में हुए गतिरोध के बाद से दोनों देश सीमा विवाद को बातचीत से सुलझाने का प्रयास कर रहे है. हालांकि अभी तक कोई उत्साहजनक नतीजे देखने को नहीं मिले है. दलाई लामा ने यह टिप्पणी जम्मू से लद्दाख के लिए रवाना होने से पहले की है.
न्यूज़ एजेंसी ANI से बातचीत में दलाई लामा ने कहा कि भारत और चीन दोनों प्रतिस्पर्धी और पड़ोसी देश हैं, देर-सबेर बातचीत और शांतिपूर्ण तरीकों से इस समस्या का समाधान करना होगा. उन्होंने आगे कहा कि सेना के इस्तेमाल से समस्या को सुलझाना अब पुराना तरीका हो गया है.
इससे पहले कल जम्मू में पत्रकारों से बात करते हुए 87 वर्षीय बौद्ध गुरु ने कहा था कि चीन में अधिकांश लोगों को यह एहसास है कि वह चीन के भीतर स्वतंत्रता की मांग नहीं कर रहे हैं. बल्कि चीन में रहते हुए स्वायत्तता और बुद्धिस्ट संस्कृति को सहेजने की बात कर रहे है.
दलाई लामा ने कहा, “चीनी लोग नहीं, लेकिन कुछ चीनी कट्टरपंथी मुझे अलगाववादी मानते हैं. अब अधिक से अधिक चीनी यह महसूस कर रहे हैं कि दलाई लामा स्वतंत्रता की मांग नहीं कर रहे हैं, बल्कि चीन के भीतर सार्थक स्वायत्तता और तिब्बती बौद्ध संस्कृति को संरक्षित करना चाहते हैं.” दलाई लामा यह उत्तर चीन द्वारा उनके लद्दाख के दौरे पर की गई आपत्ति के प्रश्न पर दें रहे थे.
तिब्बती आध्यात्मिक गुरु जम्मू-कश्मीर और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के दो दिवसीय आधिकारिक दौरे पर हैं. वर्ष 2020 में कोरोना महामारी के फैलने के बाद से धर्मशाला में स्थित अपने मठ के बाहर दलाई लामा का यह पहला आधिकारिक दौरा है.