इजरायल व ईरान के संपर्क में भारत, विदेश मंत्री जयशंकर ने की शांति की अपील

भारत ने एक बार फिर यूक्रेन-रूस के हालात के साथ ही पश्चिम एशिया की तनावपूर्ण स्थिति पर गहरी चिंता जताई है और सभी संबंधित देशों व दूसरे प्रमुख देशों से आह्वान किया है कि वह इसे हल करने में शीघ्रता दिखाएं। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रोम मेडिटेरिनियन डायलॉग-2024 में पश्चिम एशिया की स्थिति को सीधे तौर पर भारत के हितों से जोड़ते हुए कहा कि इन देशों में 90 लाख भारतीय रहते हैं, खाड़ी के देशों के साथ भारत का सालाना कारोबार 160-180 अरब डॉलर का है।

उन्होंने कहा कि खाड़ी देशों के इनर्जी, प्रौद्योगिकी व औद्योगिकी परियोजनाओं में भारत की बड़ी हिस्सेदारी है। इस क्षेत्र के साथ भारत के पुराने ऐतिहासिक, सांस्कृतिक व सुरक्षा के लिहाज से जुड़ाव है। इस बहस का आयोजन दुनिया के सबसे अमीर सात देशों के संगठन जी-7 की तरफ से किया गया है, जिसमें समूचे भूमध्य सागर की मौजूदा भूगौलिक व रणनीतिक हालात पर चर्चा की गई है।

मध्य पूर्व की स्थिति चिंताजनक

मध्य पूर्व की स्थिति को खास तौर पर चिंताजनक बताते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि भारत इजरायल और ईरान दोनों के साथ उच्च स्तरीय संपर्क बना कर रखे हुए है ताकि संयम बरता जाए और संवाद कायम रहे। उन्होंने कहा कि मध्य पूर्व की स्थिति ज्यादा चिंताजनक है। अभी तक वहां जो हुआ है उसके लिए भी और जो हो सकता है उस नजरिए से भी। भारत आतंकवाद और बंधक समस्या दोनों की निंदा करता है। हमें तत्काल से इस क्षेत्र में सीजफायर लागू करना चाहिए।

फलीस्तीन समस्या का समाधान होना चाहिए

विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि दीर्घकालिक समाधान के लिए फलीस्तीन समस्या का समाधान होनी चाहिए। भारत दो राष्ट्र सिद्धांत का समर्थक है। हमारी चिंता इस संकट के विस्तार को लेकर भी है। इस संकट के समाधान के लिए भारत अपनी पूरी मदद करने को तैयार है। इसके साथ ही अमेरिका, इजरायल, संयुक्त अरब अमीरात और भारत को मिला कर गठित संगठन आइ2यू2 के संदर्भ में जयशंकर ने कहा कि यह आने वाले दिनों में और ज्यादा सक्रिय होगा।

भूमध्य सागर के साथ भारत के हित जुड़े

जयशंकर ने अपने भाषण की शुरूआत में ही कहा कि पूरा भूमध्य सागर के साथ भारत का हित जुड़ा हुआ है और भारत इस क्षेत्र में यथाशीघ्र शांति के पक्ष में है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के देशों के साथ भारत का द्विपक्षीय कारोबार 80 अरब डॉलर का है और यहां 4.60 लाख भारतीय रहते हैं। उर्वरक, ऊर्जा, प्रौद्योगिकी, रक्षा जैसे क्षेत्रों के लिए यह भारत के लिए यह क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण है।

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