इंडिया कारपेट एक्स्पो : विदेशियों को भा रहीं मखमली कालीनें
हैंडनॉटेड, हैंडलूम, हैंडमेड, दरी, सिल्क और इंडो-नेपाली, हैंडनॉटेड वूलेन भी जर्मनी, साउथ अमेरिका चिल्ली, मैक्सिको, ब्राजील व आस्ट्रेलिया आदि देशों से आएं खरीदारों की पहली पंसद बनी
-सुरेश गांधी
वाराणसी : इंडिया कारपेट एक्स्पों-22 के दुसरे दिन विदेशी बायरों की जमघट रही। ऊन, रेशम, कृत्रिम फाइबर, जूट, कपास से तैयार कालीनें उन्हें खूब भा रही है। हैंडनाटेड एवं इंडोनेपाली कालीनों में अपनी खासी रुचि दिखाई है। आयोतकों की मानें तो एक्स्पो में आवश्यकताओं के अनुसार नए-नएं कालीनों के संग्रह देखने को मिल रहा है। इसकी बड़ी वजह है कि बुनकरों ने अपनी हाड़तोड मेहनत से भारत की संस्कृति और विरासत को बड़े ही अनोखे अंदाज में उकेरा है। आयोजक सीईपीसी का कहना है कि मेले के दुसरे दिन 35 देशों के 180 बायर व 120 रिप्रजेंटेटिव ने भागीदारी की है।
कारपेट एक्स्पों में मिर्जापुर, भदोही, पानीपत, जयपुर, दिल्ली के निर्यातकों को अच्छे ऑर्डर मिले हैं। निर्यातकों का कहना है कि इस बार अमेरिका और यूरोपियन खरीदारों से अच्छा रेस्पांस मिला है। फेयर में साउथ अमेरिका चिल्ली, मैक्सिको, ब्राजील के भी काफी संख्या में खरीदार पहुंचे है। फेयर में भारतीय कालीनों को पसंद किया गया है। भदोही, मिर्जापुर से हाथ से बनी हैंडनॉटेड कालीन, हैंडलूम, हैंडमेड, दरी, सिल्क, इंडो-नेपाली, हैंडनॉटेड वूलेन कालीन के अलावा कॉटन की दरी अधिक निर्यात होते हैं। इस बार हैंडनॉटेड के साथ-साथ पोलिएस्टर के बने कारपेट में भी चीन व अमेरिका के व्यापारियों ने रुचि दिखाई है। अमेरिका चीन के ट्रेड वार का भी भारतीयों का फायदा मिलता दिख रहा है।
कारपेट एक्सपो में देश की हस्तनिर्मित कालीनों का जादू सिर चढ़कर बोल रहा है। खासकर कम कीमत में बेहतर गुणवत्ता वाली कालीनें खूब पसंद की जा रही हैं। विदेशों से आए बायर्स बड़ी संख्या में आधुनिक डिजाइन व कलर वाली कारपेट के आर्डर दे रहे हैं। हमेशा से भदोही-मीरजापुर-वाराणसी हस्तनिर्मित कालीनों के निर्यात के मामले में अव्वल रहा है। इस बार बनारस, भदोही और मिर्जापुर की मशीनमेड, हैंडमेड कालीन ज्यादा पसंद की जा रही है। यहां के बुनकर व निर्यातक नए-नए डिजाइन बनाकर चीन के बाजार की गणित बिगाड़ रहे हैं। यहां की नई-नई डिजाइनें चीन की मशीनों द्वारा बनाई गई कालीनों पर भारी पड़ रही हैं।
बता दें, यह एक्स्पों भारत का सबसे बड़ा कारपेट एक्स्पों है। इसी पर पूरे साल भर का निर्यातक कारोबार निर्भर करता है। निर्यातकों ने बताया कि फेयर में भदोही, मिर्जापुर, पानीपत, कश्मीर, जयपुर के उत्पादों के सैंपल अधिक पसंद किए गए हैं। चालू वित्त वर्ष में अच्छे आर्डर मिलने के साथ-साथ आर्डर रिपीट होने की संभावना बनी है। कुवैत, कतर, जापान, फ्रांस, इटली, कनाडा, चीन, आस्ट्रेलिया, नार्वे, बुल्गारिया, इजरायल, मारीशस, ताइवान, वियतनाम, नेपाल, अफगानिस्तान, रूस, सऊदी अरब, सिंगापुर, यूक्रेन से भी बड़ी संख्या में आयातक आएं हुए है। कालीन मेले में बच्चों की पसंद को देखते हुए कालीन सजाया गया है। कई डिजाइन में सजी किड्स कालीन विदेशी मेहमानों को आकर्षित कर रही हैं। किड्स कालीन की अमेरिका में काफी मांग है। कालीन एक्सपो में काटन कालीन की भी मांग है। इस बार वैश्विक मंदी का असर इस व्यवसाय पर भी दिख रहा है। बावजूद इसके विदेशी ग्राहकों और उनके प्रतिनिधियों के पूछताछ से निर्माताओं, निर्यातकों के चेहरे खिले हैं। या यूं कहे भारतीय हुनर की चमक ने विदेशी मेहमानों को मुरीद कर दिया है।