इस गाँव में पत्नियाँ सोती हैं देवरों के साथ, वजह जानकर आपके पांव तले से ज़मीन खिसक जाएगी!

हमारे समाज में कई तरह की कुरीतियाँ हैं जिनका आज भी पालन किया जाता है. आज हम भले ही 21 वीं सदी में जी रहे हों लेकिन आज भी हमारे देश की कई जगहों पर इन कुरीतियों का पालन करना अनिवार्य होता है. आज के समय में हमारे समाज में भले ही गलती करने वालों के लिए कानून सजा तय करता है, लेकिन ऐसी भी कई जगह हैं जहाँ के समाज के लिए कोई कानून नहीं बना है और वे लोग अपने हिसाब से कानून बनाकर रखे हैं. हमारे देश में केवल कानून का उलंघन करने का अधिकार इस देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भी नहीं बल्कि इन लोगों के लिए भी है जो अपने हिसाब से कानून बनाकर जीते हैं और अपनी शर्तों पर महिलाओं के साथ जो चाहे वैसा दुश्व्यव्हार करते हैं.

इस गाँव में पत्नियाँ सोती हैं देवरों के साथ, वजह जानकर आपके पांव तले से ज़मीन खिसक जाएगी!

 

आज हम आपको एक ऐसे गाँव की अजीबो गरीब परंपरा से अवगत कराने जा रहे हैं. जहाँ,मात्र दो गज ज़मीन की रक्षा के लिए एक आदमी को अपनी बीवी अपने भाईयों के साथ बांटनी पडती है. अब आप सोच रहे होंगे कि ये हम क्या बोल रहे हैं लेकिन आपको बा दें कि यह बिलकुल सच है. इतना ही नहीं यहाँ की औरतों को अपने परिवार वालों की मर्जी से ही अपने सभी देवरों के साथ जबरन शारीरक संबंध बनाने पड़ते हैं. इस गाँव में तो ऐसा लगता है मानों यहाँ महिला शशक्ति करण नाम की कोई चीज़ नहीं है.

एक रिपोर्ट के अनुसार इस बुरी प्रथा के पीछे दो प्रमुख कारण माने जाते हैं. एक तो ये कि महिला और पुरुष के बीच में बढ़ रहा लिंगानुपात और दूसरा ये कि लोगों के पास पैसों और जमीन की कमी.ये कहानी कहीं और की नहीं बल्कि राजस्थान अलवर के इस मनखेरा गांव में  कुरीति को सभी निभाते चले आ रही है लेकिन कोई भी इस बारे में खुलकर बात नहीं करना चाहता और महिलओं को भी हक़ नहीं है कि वे इस मुद्दे पर खुलकर विरोध कर सकें.

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इतना ही नहीं एक रिपोर्ट के अनुसार अगर कोई महिला भूल से भी गैर मर्द के साथ संबंध बनाने से इंकार कर देती है तो उसका बुरा हाल किया जाता है. सरकार द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला कि कम जमीन होने के कारण यहां के अधिकतर पुरुष अविवाहित है.  साल 2013 की बात करें तो यहां हर परिवार  एक पुरुष कुंवारा पाया गया था. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस गांव में हर परिवार का मूल स्रोत खेती ही है.इसलिए अपनी जायदाद के बंटवारे को बचाने के लिए यहां परिवार मे एक ही महिला के साथ खेला जाता है.

 
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