इस विधि से करें मासिक कालाष्टमी की पूजा, दूर होंगे सांसारिक कष्ट

मासिक कालाष्टमी पर्व मुख्य रूप से महादेव को समर्पित है, क्योंकि मासिक कालाष्टमी के दिन भगवान शिव के रुद्रावतार काल भैरव भगवान की उपासना की जाती है। हिंदू धर्म में काल भैरव को तंत्र-मत्र का देवता माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मासिक कालाष्टमी पर व्रत और भगवान शिव की पूजा से करने से साधक को सांसारिक दुखों से मुक्ति मिल जाती है।

कालाष्टमी शुभ मुहूर्त
वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 01 मई को प्रातः 05 बजकर 45 मिनट पर हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 02 मई को प्रात 04 बजकर 01 मिनट पर होगा। कालाष्टमी के दिन निशिता मुहूर्त में काल भैरव की पूजा करने का विधान है। ऐसे में 01 मई, 2024 बुधवार के दिन मासिक कालाष्टमी व्रत किया जाएगा।

मासिक कालाष्टमी पूजा विधि
मासिक कालाष्टमी के दिन प्रातः काल में दैनिक कार्यों से निवृत्त होने के बाद पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इसके बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर सबसे पहले सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसके बाद भगवान काल भैरव की पूजा-अर्चना करें और शिव भगवान का अभिषेक करें। भगवान भैरव के समक्ष दीपक जलाएं। इस दौरान शिव चालीसा, शिव स्त्रोत का पाठ और शिव मंत्रों का जाप करें। आखिर में भगवान शिव की आरती करें इसके बाद निशा काल में दोबारा विधि-विधान के साथ भगवान भैरव की पूजा करें।

करें इन मंत्रों का जाप
ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।
ॐ तीखदन्त महाकाय कल्पान्तदोहनम्, भैरवाय नमस्तुभ्यं अनुज्ञां दातुर्माहिसि
ॐ कालभैरवाय नम:।।
ॐ भयहरणं च भैरव:।।
ॐ भ्रं कालभैरवाय फट्।।
ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।।
अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्, भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि।।

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