उज्जैन के इस गरबा में फिल्मी गाने बैन, 11 साल से अधिक उम्र की बच्ची को प्रवेश नहीं

धार्मिक नगरी उज्जैन में वैसे तो नवरात्रि के दौरान गरबे के माध्यम से कई जगहों पर माता की आराधना की जा रही है। लेकिन, शहर में एक ऐसे परंपरागत गरबा उत्सव का आयोजन पिछले कई वर्षों से किया जा रहा है, जिसमें सैकड़ों कन्याएं प्रतिदिन 3:30 घंटे तक परंपरागत वेशभूषा में माता की आराधना कर रही है। 

उज्जैन के पिपलीनाका क्षेत्र में बाबा गुमानदेव हनुमान मंदिर प्रांगण में पिछले 14 वर्षों से परंपरागत गरबा उत्सव का आयोजन बाबा गुमानदेव हनुमान परिवार के द्वारा किया जा रहा है। इस गरबा उत्सव की शुरुआत वर्ष 2010 में शहर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित श्यामनारायण व्यास के द्वारा की गई थी। इसके बाद से ही यह गरबा उत्सव प्रतिवर्ष भव्य होता जा रहा है। इस के गरबा उत्सव की जानकारी देते हुए बाबा गुमानदेव हनुमान परिवार के गादीपति और कार्यक्रम संयोजक पंडित चंदन श्यामनारायण व्यास ने बताया कि भारतीय संस्कृति को संरक्षित करने और मां भगवती को प्रसन्न करने के लिए प्रतिवर्ष परंपरागत गरबा उत्सव मंदिर प्रांगण में आयोजित किया जाता है। यह गरबा उत्सव सिर्फ कहने के लिए ही परंपरागत नहीं है। यहां सिर्फ 3 वर्ष से 11 वर्ष की कन्याएं ही गरबा कर सकती हैं। वर्तमान में 500 से अधिक कन्या प्रतिदिन गरबा प्रांगण में शाम 7 बजे से रात्रि 10:30 बजे तक गरबा कर रही है। शहर में होने वाले अन्य गरबा आयोजन से यह कार्यक्रम भिन्न इसीलिए है, क्योंकि इस आयोजन में फिल्मी गानों पर गरबा नहीं होता है। साथ ही इस बात का भी पूरा-पूरा ध्यान रखा जाता है कि सिर्फ 3 से 11 वर्ष तक की कन्याएं गरबा उत्सव कार्यक्रम में शामिल हो। 

15 दिन पूर्व से दिया जाता है प्रशिक्षण 
गरबा उत्सव में शामिल होने के लिए कन्याओं को 15 दिन पहले से प्रशिक्षण दिया जाता है। सभी कन्याओं की उम्र देखने के लिए उनके आधार कार्ड चेक किए जाते हैं और कन्याओं के आईडी कार्ड भी बनाए जाते हैं। जिससे कि उनकी संख्या जानने के साथ ही उनकी सुरक्षा के लिए भी इंतजाम किए जाते हैं। इस वर्ष भी आकांक्षा जाधव और उनकी टीम द्वारा गरबे मे शामिल होने वाली कन्याओं को प्रशिक्षण दिया गया था। इस प्रशिक्षण के बाद ही लगभग 500 से अधिक कन्या इस पारंपरिक गरबा उत्सव में शामिल हो रही है। 

पहले माता को भोग फिर कन्याओं को वितरित की जाती है प्रसादी 
गरबा उत्सव के बाद माता की महाआरती कर उन्हें फलाहारी प्रसादी का भोग लगाया जाता है। माता को नित्य ही अलग-अलग फलाहारी प्रसादी का भोग लगाया जाता है और फिर यही प्रसादी गरबा करने आने वाली कन्याओं के साथ ही पंडाल में उपस्थित लोगों को वितरित की जाती है। 

काठियावाड़ी पोशाक में सजे बाबा गुमानदेव 
बाबा गुमानदेव हनुमान पर भी माता की भक्ति का रंग छाया हुआ है जो कि उनके श्रृंगार से साफतौर पर नजर आता है। मंदिर में इन दिनों अति प्राचीन श्री गुमानदेव हनुमान का काठियावाड़ी पोशाक से श्रृंगार किया गया है इस श्रृंगार में बाबा गुमानदेव हनुमान हाथों में डांडिया लेकर गरबा करते हुए दिखाई दे रहे हैं। 

70 लोगों की टीम रखती है सुरक्षा का ख्याल 
गरबा पांडाल की सुरक्षा कुल 70 लोगों की टीम के द्वारा की जाती है। बाबा गुमानदेव हनुमान परिवार के सभी सदस्यों की इस गरबा उत्सव के दौरान अलग-अलग जिम्मेदारी तय की जाती है। कुछ लोग गेट पर खड़े होकर हर आने जाने वाले व्यक्ति पर अपनी निगाहें रखते हैं तो वहीं कुछ मंच की व्यवस्था, कुछ गरबे की व्यवस्था के साथ ही कुछ लोगों को प्रसादी के व्यवस्था भी दी जाती है। टीम के संयुक्त प्रयासों से ही यह गरबा लगातार ख्याति प्राप्त कर रहा है।

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