थोक महंगाई में भी मिली राहत, तीन महीने के निचले स्तर पर आई; जानिए पूरी डिटेल
खुदरा महंगाई के बाद नवंबर में थोक भाव पर आधारित महंगाई (WPI Inflation) से भी राहत मिली है। यह तीन महीने के निचले स्तर पर आ गई है। मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के बयान के मुताबिक, होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) पर आधारित मुद्रास्फीति नवंबर में 1.89 फीसदी पर आ गई।
यह अक्टूबर में 2.36 फीसदी पर थी। वहीं, पिछले साल नवंबर में यह 0.39 फीसदी पर थी। खुदरा महंगाई दर के आंकड़े 12 दिसंबर को आए थे। नवंबर में खुदरा महंगाई की दर घटकर 5.48 फीसदी रही, जो अक्टूबर में 6.21 फीसदी रही थी।
किन चीजों के सस्ता होने से घटी थोक महंगाई?
नवंबर में खाने-पीने की चीजें के दाम घटे हैं। यह अक्टूबर में 13.54 फीसदी थी, जो नंवबर में 8.63 फीसदी पर आ गई। सब्जियों की महंगाई दर 63.04 फीसदी से गिरकर 28.57 फीसदी पर आ गई। हालांकि, आलू का भाव नीचे नहीं आया। इसकी महंगाई दर उछलकर 82.79 फीसदी पर पहुंच गई।
प्याज के मामले में राहत मिली और इसका इन्फ्लेशन गिरकर 2.85 फीसदी पर आ गया। तेल और पावर कैटेगरी की बात करें, तो इनमें डिफ्लेशन की स्थिति बनी रही। अक्टूबर में 5.79 फीसदी के मुकाबले नवंबर में यह 5.83 फीसदी पर रही। वहीं, मैन्युफैक्चर्ड आइटम्स का इन्फ्लेशन 1.50 फीसदी से बढ़कर 2 फीसदी पर पहुंच गया।
नवंबर में खुदरा महंगाई में भी मिली थी राहत
खुदरा महंगाई का डेटा पिछले महीने (12 दिसंबर) को आया था। कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) पर आधारित रिटेल इन्फ्लेशन अक्टूबर में 6.21 फीसदी से घटकर नवंबर में 5.48 फीसदी पर आ गया। इसमें भी गिरावट खाने-पीने का सामान सस्ता होने की वजह से आई थी। नवंबर में फूड इन्फ्लेशन घटकर 10.9 फीसदी से 9 फीसदी पर आ गई थी।
हालांकि, आरबीआई और सरकार के लिए चिंता की बात यह है कि रिटेल इन्फ्लेशन लगातार तीसरे महीने 5 महीने से ऊपर बनी रही। सरकार ने आरबीआई को महंगाई दर को 2 से 4 फीसदी के दायरे में रखने का टारगेट दिया है।
क्यों घट रही है खाद्य महंगाई
थोक और खुदरा महंगाई दर कम होने की सबसे बड़ी वजह खाने-पीने की चीजों का दाम घटना है। दरअसल, मानसूनी बारिश के चलते नवंबर से पहले के महीने में सब्जियों के ट्रांसपोर्टेशन पर बुरा असर पड़ा था। साथ ही, बाढ़ के चलते फसलें खराब होने के मामले में भी आए थे। नवंबर में बेहतर खरीफ फसलों के उत्पादन और बाजार में साग-सब्जियों की आवक के बढ़ने के चलते महंगाई में कमी आ रही है। यह सिलसिला आने वाले महीनों में भी जारी रहने की उम्मीद है।