अगले आठ वर्षों में यात्री ट्रेनों के स्वरूप में बड़ा परिवर्तन करने जा रहा- रेलवे मंत्रालय

सफर को सहज-सुगम और आरामदायक बनाने के लिए रेलवे मंत्रालय अगले आठ वर्षों में यात्री ट्रेनों के स्वरूप में बड़ा परिवर्तन करने जा रहा है। 2030 तक पुराने वर्जन की सभी ट्रेनों को वंदे भारत की तर्ज पर अत्याधुनिक करने की योजना है। अभी वंदे भारत की ट्रेनों में बैठकर यात्रा करने की व्यवस्था है, लेकिन दूसरे संस्करण में 26 हजार करोड़ की लागत से दो सौ ट्रेनों को स्लीपर किया जा रहा है। अगले ढाई से तीन वर्षों के दौरान यह संख्या चार सौ पहुंचानी है। बाद में धीरे-धीरे सभी यात्री ट्रेनों का कायाकल्प कर दिया जाएगा। देश में अभी तक वंदे भारत संस्करण की छह ट्रेनें चलाई जा रही हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शुक्रवार को सातवीं ट्रेन को बंगाल में हरी झंडी दिखाने वाले हैं। पहले चरण में 15 अगस्त 2023 तक 75 वंदे भारत ट्रेनें चलाई जानी हैं। इस संस्करण की ट्रेनों की निर्माण लागत प्रति यूनिट लगभग सौ करोड़ रुपये है। दूसरे संस्करण की सभी दो सौ ट्रेनों को स्लीपर बनाने एवं सुविधाएं बढ़ाए जाने के कारण इसकी निर्माण लागत बढ़कर प्रति ट्रेन 130 करोड़ रुपये हो गई है।

रेलवे मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि जरूरत पड़ने पर आगे के संस्करणों की ट्रेनों की लागत और बढ़ाई जा सकती है। स्पीड, सुरक्षा और सुविधाओं के लिहाज से वंदे भारत ट्रेन रेलवे मंत्रालय की बड़ी छलांग है। स्वदेशी डिजाइन एवं कल-पूर्जों से निर्मित यह ट्रेन मेक इन इंडिया का उदाहरण है। इसका निर्माण चेन्नई की इंटीग्रल रेल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) में किया जा रहा है, जो आत्मनिर्भर भारत विजन को साकार करने की दिशा में एक बड़ी पहल भी है।

चालू होते ही पकड़ेगी रफ्तार 

रेलवे मंत्रालय का जोर ट्रेनों की गति बढ़ाने पर भी है, ताकि यात्री समय से गंतव्य पर पहुंच सकें। यही कारण है कि नई ट्रेनों को इस तरह से डिजाइन किया जा रहा है कि अन्य ट्रेनों की तुलना में ज्यादा तेज गति से चल सके। कम समय में ही तेज गति पकड़ने के साथ-साथ ब्रे¨कग सिस्टम को भी पावरफुल बनाया जा रहा है। रफ्तार को बनाए रखने के लिए प्रत्येक बोगी का वजन कम किया जा रहा है। इसके लिए बाडी को एल्युमीनियम से बनाया जा रहा है, ताकि पहले की तुलना में हल्की रहे। प्रत्येक बोगी मात्र दो से तीन टन वजन की होगी। इस तरह पूरी ट्रेन का वजन पहले की तुलना में लगभग 40 से 50 टन कम होगा। इसके चलते ट्रेनें दो मिनट के अंदर लगभग 160 किमी प्रति घंटा की रफ्तार पकड़ सकती है।

सुरक्षित यात्रा पर भी जोर 

नए संस्करण की ट्रेनें हवा से आने वाले बैक्टीरिया एवं अन्य वायरस से भी यात्रियों का बचाव करेंगी। इसके लिए कैटेलिटिक अल्ट्रावायलेट एयर प्यूरिफायर सिस्टम लगाया जा रहा है, जो बाहर से आने वाली हवा को फिल्टर करेगा। ट्रेनों में आनबोर्ड वाईफाई, अपने आप खुलने वाले दरवाजे और विमानों की तरह बायो-वैक्यूम शौचालय की सुविधा होगी।

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