
अक्सर बड़े-बुजुर्ग शाम के समय सोने पर टोकते हैं. कइयों के मन में सवाल आता होगा कि वे ऐसा क्यों करते हैं. क्या इसके पीछे कोई वैज्ञानिक और धार्मिक कारण हैं या सब बिना वजह की बातें हैं. आज हम इस बारे में आपको विस्तार से बताते हैं. आपको स्पष्ट करेंगे कि शाम के समय सोने पर आपत्ति क्यों जताई जाती है और इसके पीछे कौन से असल कारण हैं.
शाम को सोने से सेहत को नुकसान
सबसे पहले हम शाम को न सोने के वैज्ञनिक पहलू के बारे में बात करते हैं. मेडिकल एक्सपर्टों के मुताबिक शाम को सोने से हमारी रात की नींद और पाचन तंत्र दोनों गड़बड़ हो जाते हैं. अगर हम शाम को सो जाते हैं तो हमें रात को नींद नहीं आएगी, जिससे हम पूरी रात करवट बदलते रह जाएंगे. वहीं शाम को सोने और रात को जागने से हमारे शरीर का पाचन तंत्र भी बिगड़ जाता है. जिसका नुकसान खुद हमें उठाना पड़ता है. इसका नुकसान हमारी सेहत को होता है.
देवी-देवताओं का नहीं मिलता आशीर्वाद
अब जानते हैं कि शाम को न सोने के धार्मिक कारण क्या हैं. शास्त्रों के मुताबिक सुबह और शाम का समय ईश्वर की आराधना का होता है. कहा जाता है कि शाम के समय माता लक्ष्मी, माता सरस्वती और मां दुर्गा का घर में आगमन होता है. अगर कोई उस वक्त सो रहा होता है तो उसे इन तीनों देवियों के आशीर्वाद से वंचित रहना पड़ जाता है. साथ ही तय समय होने के बावजूद ईश्वर की आराधना न करने का पाप भी उसे भुगतना पड़ता है.