भस्मारती में त्रिपुंड, सूर्य, चंद्र और फूलों की माला से किया बाबा महाकाल का श्रृंगार

विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में आज ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर शनिवार तड़के भस्म आरती के दौरान चार बजे मंदिर के पट खुलते ही पंडे पुजारियों ने गर्भगृह में स्थापित सभी भगवान की प्रतिमाओं का पूजन किया। भगवान महाकाल का जलाभिषेक दूध, दही, घी, शक्कर, पंचामृत और फलों के रस से किया गया। प्रथम घंटाल बजाकर हरि ओम का जल अर्पित किया गया। कपूर आरती के बाद बाबा महाकाल को नवीन मुकुट, मुंड माला धारण करवाई गई।

आज के श्रृंगार की विशेष बात यह रही कि द्वितिया तिथि व शनिवार के संयोग पर भस्मआरती में बाबा महाकाल का त्रिपुंड, सूर्य, चंद्र और फूलों की माला के साथ श्रंगार किया गया। महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से भगवान महाकाल को भस्म अर्पित की गई। इस दौरान हजारों श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल के दिव्य दर्शनों का लाभ लिया। जिससे पूरा मंदिर परिसर जय भोले बाबा तव शरणम, जय महाकालेश्वर तव शरणम की गूंज से गुंजायमान हो गया।

विकास कार्यों के लिए 1 लाख का दान
श्री महाकालेश्वर मंदिर में राजस्थान के मकराना के जगदीश प्रसाद चोयाल द्वारा पुजारी विकास शर्मा की प्रेरणा से श्री महाकालेश्वर मंदिर में चल रहे विकास कार्य के लिए 1 लाख 1 हजार रुपये का चेक दिया गया। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के उमेश पंडया और कमल जोशी द्वारा दानदाता का सम्मान किया गया।

सीपीआर प्रशिक्षण का शिविर का आयोजन हुआ
श्री महाकाल महालोक में स्थित मानसरोवर भवन, प्रथम तल प्रोटोकॉल ऑफिस के समीप में श्री महाकालेश्वर मंदिर में प्रबंध समिति द्वारा 10 बेड के चिकित्सालय का संचालन किया जाता है। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्राथमिक उपचार केंद्र के लिए अशोक माचीवाल व खंडेलवाल आनंद परिषद, उज्जैन द्वारा एक ईसीजी मशीन दान की गई।

मंदिर प्रबंध समिति के सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल द्वारा दानदाता का सम्मान कर विधिवत रसीद प्रदान की गई। इस अवसर पर डॉ. देवेन्द्र परमार, दीलिप उपाध्याय (चमु गुरु), अशोक खंडेलवाल, धर्मेन्द्र गुप्ता आदि उपस्थित थे। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष एवं कलेक्टर नीरज कुमार सिंह के निर्देशानुसार प्रशासक मृणाल मीना के मार्गदर्शन में पूर्व में भी हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. विजय गर्ग द्वारा श्री महाकालेश्वर मंदिर में प्रतिदिन श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को दृष्टिगत रखते हुए मंदिर में कार्यरत सभी स्टाफ को डॉक्टर के पहुचने के पूर्व आवश्यकता के अनुरूप व्यक्ति को सीपीआर देकर किस प्रकार से उपचार किया जा सकता है, इसका प्रशिक्षण दिया गया।

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