गुप्त नवरात्र में की जाती है 10 महाविद्याओं की पूजा
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साल में 4 नवरात्र मनाए जाते हैं, जिसमें से 2 गुप्त नवरात्र होते हैं और 2 प्रकट नवरात्र। गुप्त नवरात्र माघ और आषाढ़ माह में मनाई जाती है। वहीं, प्रकट नवरात्र चैत्र और आश्विन माह में मनाई जाती हैं। हिंदू धर्म में नवरात्र का समय मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की आराधना के लिए समर्पित माना जाता है। वहीं, गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की पूजा करने का विधान है। ऐसे में आइए जानते हैं दस महाविद्याओं की उत्पत्ति की कथा।
गुप्त नवरात्र 2024 शुभ मुहूर्त
माघ माह के गुप्त नवरात्र माघ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 10 फरवरी से शुरू हो रही है। ऐसे में 10 फरवरी, शनिवार के दिन से गुप्त नवरात्र की शुरुआत होगी। साथ ही 18 फरवरी, रविवार के दिन इसका समापन होने जा रहा है।
घट स्थापना का मुहूर्त
गुप्त नवरात्र की पूजा-अर्चना भी प्रकट नवरात्र की तरह ही की जाती है। गुप्त नवरात्र में घट स्थापना करने का भी विधान है। ऐसे में घट स्थापना का शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहेगा –
घट स्थापना का मुहूर्त – 10 फरवरी, सुबह 08 बजकर 45 मिनट से सुबह 10 बजकर 10 मिनट तक
घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त – 10 फरवरी, दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से 12 बजकर 58 मिनट तक
शिव पुराण में मिलती है कथा
शिव पुराण में वर्णित कथा के अनुसार, जब माता सती अपने पिता दक्ष के यज्ञ में जाने के अनुमति मांगती हैं, तो शिव जी ने यह कहकर उन्हें मना कर दिया कि हमें निमंत्रण नहीं मिला है, तो ऐसे में हमारा यज्ञ में जाना उचित नहीं है। इस पर माता सती क्रोधित हो जाती हैं और उन्होंने महाकाली का रूप धारण किया। शिव जी यह रूप देखकर उनसे दूर भागने लगे।
भगवान शिव जिस दिशा में जाते हैं, माता सती उन्हें रोकने के लिए उसी दिशा में अपना एक विग्रह प्रकट कर देती हैं। इस प्रकार दसों दिशाओं में मां सती ने दस रूप लिए थे। इस प्रकार देवी दस रूपों में विभाजित हो गईं, जिनसे अंत में शिव जी उन्हें यज्ञ में भाग लेने की अनुमति प्रदान करते हैं। यही दस महाविद्याएं कहलाईं।
महाविद्याओं की दिशा
काली मां – उत्तर दिशा
तारा देवी – उत्तर दिशा
मां षोडशी – ईशान दिशा
देवी भुवनेश्वरी – पश्चिम दिशा
श्री त्रिपुर भैरवी – दक्षिण दिशा
माता छिन्नमस्ता – पूर्व दिशा
भगवती धूमावती – पूर्व दिशा
माता बगलामुखी – दक्षिण दिशा
भगवती मातंगी – वायव्य दिशा (उत्तर-पश्चिम दिशा)
माता श्री कमला – नैऋत्य दिशा (दक्षिण-पश्चिम का मध्य स्थान)
गुप्त नवरात्र का महत्व
माघ माह की गुप्त नवरात्र के दौरान नौ दिनों में मुख्य रूप से दस महाविद्याओं जो मां दुर्गा के ही रूप हैं उनकी पूजा-अर्चना करने का विधान है। यह पूजा अधिकतर अघोरियों या तांत्रिकों द्वारा सिद्धियों की प्राप्ति के लिए की जाती है। यह भी माना जाता है कि इस पूजा अनुष्ठान को जिनता गुप्त रखा जाता है, साधक की मनोकामनाएं उतनी ही जल्दी पूर्ण होती हैं। इसी कारण से इस नवरात्र को गुप्त नवरात्र भी कहा जाता है।