प्रेग्नेंसी में महिलाओं को डायबिटीज होना बच्चे के लिए हानिकारक होता, डॉक्टर से जानते हैं इस बारे में-

प्रेग्नेंसी में महिलाओं को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। प्रेग्नेंसी में हार्मोन का स्तर में बदलाव होता है, ऐसे में कई महिलाओं को डायबिटीज की समस्या हो सकती है। यह एक आम समस्या है, जो अधिकतर महिलाओं में देखने को मिलती है। लेकिन, इस समस्या से गर्भ में पल रहे बच्चे को नुकसान हो सकता है। साईं पॉलीक्लीनिक की वरिष्ठ स्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर विभा बंसल ने बताया कि प्रेग्नेंसी में डायबिटीज से बच्चे को बर्थ इंजरी का खतरा बढ़ जाता है। इस समस्या से महिलाओं को भी कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती है। ऐसे में डॉक्टर ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए डाइट में बदलाव करते हैं। 

प्रेग्नेंसी में डायबिटीज से बढ़ जाता है इंजरी खतरा 

मैक्रोसोमिया (जन्म के समय बच्चे का अधिक वजन)

प्रेग्नेंसी में डायबिटीज होने पर मैक्रोसोमिया हो सकता है, इसमें बच्चा औसत से काफी बड़ा हो जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि अतिरिक्त ब्लड शुगर प्लेसेंटा को पार कर जाती है और बच्चे के पैनक्रियाज को अधिक इंसुलिन का संकेत देती है। इसके चलते बच्चे का विकास तेजी से होता है। शिशु का बड़ा आकार डिलीवरी के समय बर्थ इंजरी का खतरा बढ़ा सकता है। ऐसे में कंधे की डिस्टोसिया, इसमें बच्चे के कंधे मां की श्रोणि की हड्डी के पीछे फंस जाते हैं। यह स्थिति नर्वस सिस्टम को डैमेज, फ्रैक्चर और अन्य समस्याओं की वजह बन सकती हैं। 

प्री-टर्म बर्थ (समय से पहले जन्म होना)

प्रेग्नेंसी में डायबिटीज से बच्चे का जन्म समय से पहले होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में बच्चे की गर्भधारण के 37 सप्ताह से पहले ही डिलीवरी हो जाती है।  समय से पहले जन्म लेने वाले शिशुओं को उनके अविकसित अंगों के कारण बर्थ इंजरी का अधिक खतरा होता है। उनके नाजुक शरीर में रेस्पीरेटरी सिंड्रोम, पीलिया और मस्तिष्क की चोट जैसी मुश्किल हो सकती हैं। 

नवजात शिशुओं में हाइपोग्लाइसीमिया

गर्भावस्था में डायबिटीज से पीड़ित महिलाओं के नवजात शिशुओं में जन्म के तुरंत बाद हाइपोग्लाइसीमिया हो सकता है। इसे स्थिति में बच्चे का ब्लड शुगर लो होने का खतरा रहता है। गर्भावस्था के दौरान, बच्चे का शरीर मां से प्राप्त ग्लूकोज के उच्च स्तर के अनुरूप ढल जाता है। हालांकि, जन्म के बाद, जब बच्चे को मां से अतिरिक्त ग्लूकोज नहीं मिलती है, तो उनका ब्लड शुगर तेजी से कम हो सकता है। नवजात शिशुओं में हाइपोग्लाइसीमिया के कारण दौरे पड़ना, विकास संबंधी समस्याएं और नर्वस सिस्टम संबंधी परेशानी हो सकती हैं। 

सिजेरियन डिलीवरी की संभावना बढ़ना

गर्भावस्था में डायबिटीज होने से सिजेरियन डिलीवरी की संभावना बढ़ सकती है। जब बच्चा औसत से बड़ा हो या अन्य समस्याएं हों, जैसे कि मैक्रोसोमिया या शोल्डर डिस्टोसिया, तो मां और बच्चे दोनों को बचाने के लिए सिजेरियन सेक्शन की जा सकती है। सिजेरियन डिलीवरी में इंफेक्शन  और खून की कमी हो सकती है। साथ ही, सर्जिकल प्रक्रिया में बच्चे को बर्थ इंजरी होने का खतरा बढ़ जाता है। 

पीलिया 

प्रेग्नेंसी में डायबिटीज होने से शिशुओं में पीलिया और हाइपरबिलिरुबिनमिया होने का खतरा अधिक होता है। पीलिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें रेड ब्लड सेल्स के टूटने के दौरान उत्पन्न होने वाले पीले तरल बिलीरुबिन बढ़ जाता है। पीलिया बच्चे के ब्रेन फंक्शन को प्रभावित कर सकता है। इसके लिए फोटोथेरेपी का उपयोग किया जाता है। 

प्रेग्नेंसी में डायबिटीज से बचने के लिए महिलाओं को प्रेग्नेंसी के शुरुआत से ही शुगर को कंट्रोल करना चाहिए। साथ ही, डॉक्टर की सलाह पर डाइट चार्ट बनाना चाहिए। इससे डायबिटीज के खतरे को कम किया जा सकता है। 

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