भारत में 2005-21 के दौरान मछली की प्रति व्यक्ति खपत 81 प्रतिशत बढ़ी

भारत की वार्षिक प्रति व्यक्ति मछली खपत वर्ष 2005 के 4.9 किलोग्राम से बढ़कर 2021 में 8.89 किलोग्राम हो गई है। यह उच्च आय और बढ़ती समृद्धि के कारण आहार मिश्रण में बदलाव का संकेत है। एक अध्ययन में यह जानकारी दी गई है।

मछली खाने वाली आबादी में प्रति व्यक्ति वार्षिक मछली की खपत 7.43 किलोग्राम से बढ़कर 12.33 किलोग्राम हो गई है, जो 4.9 किलोग्राम (66 प्रतिशत) की वृद्धि है। यह अध्ययन व‌र्ल्डफिश अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (आईएफपीआरआई) द्वारा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) और अन्य सरकारी निकायों के सहयोग से किया गया है।

अध्ययन की समयसीमा वर्ष 2005 से वर्ष 2021
अध्ययन की समयसीमा वर्ष 2005-2006 से वर्ष 2019-2021 थी। वर्ष 2005-2021 की अवधि के दौरान, देश का मछली उत्पादन 5.63 प्रतिशत की सालाना वृद्धि (सीएजीआर) के साथ दोगुना होकर 1.42 करोड़ टन हो गया। कुल मछली उत्पादन में से मछली की घरेलू खपत वर्ष 2005-06 में 82.36 प्रतिशत, वर्ष 2015-16 में 86.2 प्रतिशत और वर्ष 2019-20 में 83.65 प्रतिशत थी।

भारत में मछली की घरेलू मांग बढ़ रही
शेष का उपयोग गैर-खाद्य उद्देश्यों और निर्यात के लिए किया गया था। आईसीएआर के महानिदेशक हिमांशु पाठक ने रिपोर्ट में कहा कि भारत में मछली की घरेलू मांग बढ़ रही है। भारत दुनिया में मछली का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बन गया है।

भारत में प्रति व्यक्ति मछली की खपत वैश्विक औसत से पीछे
हालांकि, भारत में प्रति व्यक्ति मछली की खपत वैश्विक औसत से पीछे बनी हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, विभिन्न भारतीय राज्यों में त्रिपुरा में मछली उपभोक्ताओं का अनुपात सबसे अधिक (99.35 प्रतिशत) है, जबकि हरियाणा में यह सबसे कम (20.55 प्रतिशत) है।

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