आईआईटी कानपुर: आईआईटी में पहली बार 79 साल की छात्रा ने लिया दाखिला

उम्र केवल नंबर है, उत्साह है तो इंसान कुछ भी कर सकता है। जिस उम्र में लोग माया-मोह छोड़कर कीर्तन-सत्संग और भगवान के ध्यान में लीन हो जाते हैं, उम्र के उस पड़ाव में पद्मश्री डॉ. सरोज चूड़ामणि गोपाल ने आईआईटी कानपुर में प्रवेश लिया है। 65 साल के संस्थान में 79 साल की डॉ. सरोज पीएचडी छात्रा के रूप में शामिल हुई हैं।

मूल रूप से मथुरा के सोंकखेड़ा की रहने वालीं डॉ. सरोज स्पाइनल कार्ड से जुड़े अपने 12 साल पुराने शोध को पूरा करेंगी। आईआईटी के प्रोफेसरों का दावा है कि पीएचडी करने वाली डॉ. सरोज देश की सबसे अधिक उम्र वाली महिला हैं।

आईआईटी के बायोसाइंस एंड बायोइंजीनियरिंग विभाग में डॉ. अशोक कुमार के अंडर में पीएचडी करने के लिए आठ जनवरी को दाखिला लेने वाली डॉ. सरोज के लिए संस्थान को अपने नियमों में परिवर्तन भी करना पड़ा।

विशेष बैठक कर उनके दाखिले के नियम को पास किया गया। डॉ. सरोज को अब आईआईटी कानपुर में विजिटिंग प्रोफेसर का भी जिम्मा मिल गया है। डाॅ. सरोज मार्च 2008 से लेकर 2011 तक केजीएमयू लखनऊ में कुलपति के पद पर रह चुकी हैं।

पढ़ाई के खिलाफ था परिवार, पर डॉ. सरोज ने किसी की न सुनी
डॉ. सरोज की पढ़ाई की राह बचपन में आसान नहीं रही। ब्राह्मण परिवार में जन्मी डॉ. सरोज कहती हैं कि पूरा परिवार पढ़ाई के खिलाफ था और सभी मेरी जल्द शादी करना चाहते थे, लेकिन पढ़ाई को लेकर मेरी जिद ने किसी की नहीं मानी। भूखी-प्यासी, घर से भागने तक की धमकी दे डाली। पिता का मन बदला, फिर परिवार के खिलाफ जाकर उन्होंने मेडिकल में दाखिले दिलाने में साथ दिया। उसके बाद जो सफर शुरू हुआ, अनवरत जारी रहा। शादी के बाद पति डॉ. सिद्धगोपाल और उनके परिवार का भी सहयोग मिलता रहा।

केजीएमयू से शुरू किया था शोध
डाॅ. सरोज कहती हैं कि वह जब केजीएमयू में कार्यरत थीं, तब उन्होंने स्पाइनल कार्ड इंजरी से पीड़ित मरीजों को दोबारा चलाना चाहती थीं। पायलट प्रोजेक्ट शुरू कर उस पर काम किया तो 15 से 20 प्रतिशत तक सफल परिणाम मिले।
डाॅ. सरोज अपने इस शोध कार्य को आगे करना चाहती थीं, लेकिन कुछ परिस्थितियां ऐसी बनीं कि उन्हें यह शोध छोड़ना पड़ा। फिर 12 सालों तक वह वाराणसी में ही रह गईं और शोध आगे नहीं बढ़ पाया। कुछ माह पहले वे एक कॉन्फ्रेंस में कानपुर आईं थीं। जब उन्होंने अपने इस शोध विषय पर बोलना शुरू किया, तो कार्यक्रम में मौजूद आईआईटी कानपुर के प्रो. अशोक प्रभावित हुए और फिर उन्होंने डॉ. सरोज से संवाद किया। वहीं, तय हुआ कि अब डाॅ. सरोज आईआईटी कानपुर से पीएचडी करेंगी।

छात्र हुए प्रभावित
डॉ. सरोज का दाखिला छात्रों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। कई छात्रों ने इनसे प्रेरणा लेकर आगे बढ़ने का मन बनाया है। हर कोई उनके जज्बे की सराहना कर रहा है।

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