अगर आप भी मूड स्‍व‍िंग्‍स का सामना कर रही हैं तो इस समस्‍या से छुटकारा पाना चाहती है तो करें ये 5 आसान उपाय

प्रेग्‍नेंसी के दौरान या उसके बाद महिलाओं में मूड स्विंग्स की समस्‍या का होना एक आम बात है। लेकिन लगातार होने वाले इन मूड स्विंग्स की वजह से कई बार महिलाओं को काफी परेशान भी उठानी पड़ती है। हर मह‍िला के ल‍िए प्रेग्‍नेंसी एक नाजुक समय होता है। इस दौरान उसके शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव हो रहे होते हैं। शारीर‍िक समस्‍याओं के अलावा मह‍िलाएं, मानसिक परेशानी से भी जूझ रही होती हैं। ऐसी ही एक समस्‍या को मूड स्विंग्स के नाम से भी जाना जाता है। जिसका मतलब होता है पल-पल में मूड का बदलना। प्रेग्‍नेंसी के दौरान, कई मह‍िलाएं मूड स्‍व‍िंग्‍स का अनुभव करती हैं। यह समस्‍या प्रेग्‍नेंसी के दौरान ही नहीं बल्कि शिशु को जन्म देने के बाद भी हो सकती है। इसे हम पोस्‍टपार्टम मूड स्‍व‍िंग्‍स के नाम से जानते हैं। अगर आप भी मूड स्‍व‍िंग्‍स का सामना कर रही हैं तो इस समस्‍या से छुटकारा पाने के ल‍िए समानता बहल (फाउंडर, निर्वी फॉर वूमन कम्युनिटी) से जानते हैं 5 आसान उपाय।  

मूड स्विंग्‍स के लक्षण-
आमतौर पर मूड स्विंग्‍स के दौरान हर महिला को अलग-अलग लक्षण महसूस हो सकते हैं लेकिन ये कुछ फीलिंग्‍स ज्यादातर हर प्रेगनेंट महिला मूड स्विंग्‍स को दौरान महसूस करती हैं।
-बेवजह दुखी महसूस करना और फिर एकदम खुश हो जाना।
-गर्भवती महिलाओं को कई बार ‘प्रेग्‍नेंसी ब्रेन’ की समस्या भी परेशान करती है। इस समस्या में महिला कई बार चीजें और बातें भूलने लगती हैं। इस समय ज्‍यादा काम न करें और जरूरी चीजों और बातों को नोट कर के रखें। प्रेग्‍नेंसी में भूल जाना या याद्दाश्‍त कमजोर होना आम बात है।
-चिड़चिड़ापन और गुस्‍सा आना।
-​प्रेग्‍नेंट महिलाएं अपने बच्‍चे की सेफ्टी के लिए सब कुछ साफ करने में लगी रहती हैं। बच्‍चे की इम्‍यूनिटी कमजोर होने की वजह से उसे लगता है कि क्‍लीनिंग बच्‍चे के लिए अच्‍छी है। 

मूड स्विंग्‍स से छुटकारा दिलाएंगे ये उपाय-
डीप ब्रीद‍िंग एक्‍सरसाइज-

प्रेग्‍नेंसी में मूड स्‍व‍िंग्‍स से बचने के ल‍िए, डीप ब्रीद‍िंग एक्‍सरसाइज की मदद लें। शांत जगह पर बैठ जाएं। गहरी सांस लें, 5 सेकेंड्स के ल‍िए रुकें, फ‍िर सांस को धीरे-धीरे छोड़ दें। इस तरह 10 से 15 बार गहरी सांस लें। मूड स्‍व‍िंग होने पर, डॉक्‍टर ब्रीद‍िंग एक्‍सरसाइज करने की सलाह ही देते हैं। ड‍िलीवरी के बाद, मूड स्‍व‍िंग्‍स के लक्षण नजर आने पर, वॉक कर सकती हैं। द‍िनभर में 10 से 15 म‍िनट की वॉक फायदेमंद होगी।

डाइट में शाम‍िल करें फाइबर-
प्रेग्‍नेंसी में मूड स्‍व‍िंग की समस्‍या से बचने के ल‍िए, अपनी डाइट में फाइबर को शाम‍िल करें। ताजे फल और सब्‍ज‍ियों में फाइबर पाया जाता है। फाइबर का सेवन करने से तनाव कम होता है। साथ ही शरीर को ऊर्जा म‍िलती है। वहीं ड‍िलीवरी के बाद, मूड स्‍व‍िंग्‍स की समस्‍या होने पर, अपनी डाइट में आयरन, कैल्‍श‍ियम, व‍िटाम‍िन्‍स और म‍िनरल्‍स आद‍ि को शाम‍िल करें।    

7 से 8 घंटे की नींद लें-
मूड स्‍व‍िंग से बचने के लिए नींद पूरी लें। गर्भवती मह‍ि‍लाओं को एक द‍िन में 7 से 8 घंटे की नींद जरूर पूरी करनी चाह‍िए। जो मह‍िलाएं, प्रेग्‍नेंसी में नींद नहीं पूरी करतीं, उनका मूड पल-पल बदलता रहता है। नींद पूरी होंगी, तो शरीर में ऊर्जा होगी, आप पॉज‍िट‍िव रहेंगी और तनाव महसूस नहीं होगा।      

प्रेग्‍नेंसी में पानी पीती रहें-
बार-बार मूड खराब हो जाता है, तो इसका एक कारण ड‍िहाइड्रेशन भी हो सकता है। शरीर में पानी की कमी के कारण, गुस्‍सा आता है, च‍िड़च‍िड़ापन होने लगता है। शरीर में पानी की कमी दूर करने के ल‍िए द‍िनभर में कम से कम 3 से 4 लीटर पानी का सेवन करें। पानी के अलावा  नींबू पानी, फलों का रस, सब्‍ज‍ियों के जूस का सेवन भी कर सकती हैं।

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