आप पर होता होगा पीने का नशा, यह जीव कितनी भी लगा ले डुबकी इस पर नहीं होता शराब का असर

इंसानों के लिए शराब कुछ अलग तरह का पेय पदार्थ है. यह उनके दिमाग पर खासा असर करता है. इंसानों के लिए अलावा कई जानवरों पर भी ऐसा असर देखने को मिलता है, जिसमें बंदर के बारे में तो सभी जानते हैं. पर क्या ऐसा भी कोई जानवर या जीव है जिसके दिमाग पर शराब का बिलकुल भी असर नहीं होता? एक रिसर्च में साइंटिस्ट्स ने ऐसा ही एक जीव खोज निकाला है. उनका दावा है कि इस जीव पर शराब का बिलकुल भी असर नहीं होता यानि ये कितनी भी शराब पी ले इसे नशा कतई नहीं होता. यह जीव ततैया की एक प्रजाति है जो कुदरती तौर पर एल्कोहल ही पीते हैं, लेकिन उन्हें किसी तरह का नशा या हैंगओवर कभी नहीं होता.

इथेनॉल के सेवन के बावजूद
स्टडी में ओरिएंटल हॉर्नेट (वेस्पा ओरिएंटलिस) ततैया एकमात्र ऐसा जानवर बताया गया है जिसके बारे में हम जानते हैं कि वह शराब से नशे में नहीं आ सकता. ततैया स्वाभाविक रूप से इथेनॉल (शराब में मौजूद वह तत्व जो आपको नशे में डाल देता है) का सेवन अपने आहार के हिस्से के रूप में करते हैं जिसमें फूलों का रस और फल शामिल होते हैं.

कैसे किया प्रयोग?
इज़राइल में तेल अवीव विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने ततैयों पर इथेनॉल के प्रभावों का परीक्षण करने के लिए वी. ओरिएंटलिस को एक मॉडल जानवर के रूप में इस्तेमाल किया. कीटों को 80 फीसदी इथेनॉल वाले सुक्रोज घोल को पिलाने के बाद, शोधकर्ताओं ने ततैयों के जीवनकाल या व्यवहार पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं देखा.

कैसे जाना अल्कोहल का असर?
कार्बन आइसोटोप के साथ अल्कोहल को जोड़ने से टीम को उनके शरीर के अंदर के पदार्थों में होने वाले बदलवों को जानने का मौका मिला. प्राणी विज्ञानी सोफिया बुचेबती कहती हैं, “जैसे-जैसे अल्कोहल मेटाबोलाइज होता है, यह कार्बन डाइऑक्साइड में टूट जाता है, जो बाहर निकल जाता है. बाहर निकलने  वाले कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा को मापकर, हम यह अनुमान लगा सके कि अल्कोहल किस गति से टूटा था.

शराब का असर होने से पहले ही
PNAS में प्रकाशित इस अध्ययन में पाया गया कि ततैयों के मेटाबॉलिज्म ने अल्कोहल को दोगुनी तेज़ी से निपटाया. इससे पहले कि उनमें इंसानों की तरह गटर में लड़खड़ाने, खुद पर उल्टी करने या तड़के किसी पूर्व साथी को फोन करने के समान कीड़ों के स्तर की कोई गतिविधि या या लक्षण दिखने का मौका मिलता, मेटाबॉलिज्म ने यह अल्कोहल ही तोड़ डाला.

क्या हो सकती है वजह?
शोधकर्ताओं का मानना ​​है कि ऐसा ओरिएंटल हॉर्नेट्स में अल्कोहल डिहाइड्रोजनेज (NADP+) जीन की कई प्रतियां होने के कारण हो सकता है, जो अल्कोहल को तोड़ने वाले एंजाइम का उत्पादन करता है. कीटों का खमीर (यीस्ट) के साथ एक दिलचस्प सह-विकासवादी इतिहास भी है, वे फलों में जाने से पहले अपने पाचन तंत्र में ब्रूअर्स यीस्ट (सैकरोमाइसिस सेरेविसिया) ले जाते हैं.

तेजी से पचाने का काम
अल्कोहल के उत्पादकों के रूप में, परिवहन किए गए ब्रूअर्स यीस्ट ने ततैयों को पदार्थ के प्रति अपनी सहनशीलता विकसित करने के लिए और अधिक विकासवादी प्रोत्साहन प्रदान किया होगा. बौचेबटी कहते हैं, “नतीजे बहुत ही हैरान करने वाले थे; हम यह देखकर चकित थे कि हॉर्नेट्स ने अल्कोहल को कितनी तेज़ी से मेटाबोलाइज यानी पचाने का काम किया,”

सबके साथ नहीं होता है ऐसा
पेंटेल्ड ट्रीशू (Ptilocercus lowii) जैसे जानवर जो अपनी शराब को संभाल सकते हैं, केवल एक निश्चित  अल्कोहल वाली मात्रा के पदार्थों के साथ ही ऐसा कर सकते हैं. इन शराब पीने वालों को कठोर पदार्थ खिलाने पर नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभाव बहुत तेज़ी से असर दिखाने लगते हैं. इस तरह के अध्ययन हमें पशु जगत की जटिल कार्यप्रणाली के बारे में अधिक जानकारी देते हैं, वे मनुष्यों में शराब की खपत और सहनशीलता पर शोध के लिए मॉडल प्रदान करने में भी बेहद उपयोगी हैं.

बहुत काम की हो सकती है ये रिसर्च
लेखकों को उम्मीद है कि उनका काम हमारी खुद की शराब पीने की आदतों और उन तरीकों की समझ को आगे बढ़ा सकता है जिनसे शराब के सेवन से संबंधित मौतें रोकी जा सकती हैं, जो
आज दुनिया भर में होने वाली सभी मौतों में से, 5.3 प्रतिशत से जुड़ी हुई हैं. प्राणी विज्ञानी एरन लेविन कहते हैं, “हम मानते हैं कि, हमारे शोध के बाद, ओरिएंटल हॉर्नेट्स का उपयोग शराब की लत और शराब के मेटाबॉलिज्म का अध्ययन करने के लिए नए मॉडल विकसित करने के लिए किया जा सकता है.”

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