‘अगर हम इंडिया को जिंदा नहीं रखेंगे तो विपक्ष नहीं बचेगा’; राउत का बयान
संजय राउत ने कहा, ‘हमने कहा है कि स्थानीय निकाय चुनाव कार्यकर्ताओं का चुनाव है, वहां गठबंधन बनाना मुश्किल होता, लेकिन इसमें कोई शक नहीं है कि विधानसभा और लोकसभा में गठबंधन होगा। जिस तरह की खबरें आ रही हैं कि ‘INDIA’ या महाविकास अघाड़ी टूट गया है, ऐसा नहीं है।’
देश में विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ और महाराष्ट्र के महाविकास अघाड़ी में टूट की खबरों को शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने सिरे से नकार दिया है। उन्होंने कहा कि इंडि गठबंधन निश्चित रूप से सर्वाइव करेगा। अगर हम विपक्षी गठबंधन को जिंदा नहीं रखेंगे, तो विपक्ष नहीं बचेगा, ये लोग विपक्ष को मार देंगे। ये सही है कि इंडि गठबंधन सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए बना था, लेकिन इसे बरकरार रखना देश की जरूरत है।
राउत ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के इस बयान पर भी आपत्ति जताई कि भारत की ‘सच्ची आजादी’ तब स्थापित हुई, जब अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हुआ। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख संविधान के निर्माता नहीं हैं, उन्होंने कहा कि भगवान राम का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
इससे पहले संजय राउत ने कहा, ‘हमने कहा है कि स्थानीय निकाय चुनाव कार्यकर्ताओं का चुनाव है, वहां गठबंधन बनाना मुश्किल होता, लेकिन इसमें कोई शक नहीं है कि विधानसभा और लोकसभा में गठबंधन होगा। जिस तरह की खबरें आ रही हैं कि ‘INDIA’ या महाविकास अघाड़ी टूट गया है, ऐसा नहीं है।’
भागवत के बयान पर राउत ने यहां संवाददाताओं से कहा कि आरएसएस प्रमुख एक सम्मानित व्यक्ति हैं, लेकिन वे संविधान के निर्माता नहीं हैं। वे इस देश के कानूनों का मसौदा नहीं बनाते या उनमें बदलाव नहीं करते। रामलला के मंदिर का निर्माण वास्तव में देश के लिए गौरव का क्षण है और मंदिर निर्माण में सभी ने योगदान दिया है, लेकिन यह दावा करना गलत है कि देश अब स्वतंत्र हुआ है। भारत को 1947 में स्वतंत्रता मिली थी। ऐसे में भगवान राम का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए।
पहले भी दी थी सफाई
इससे पहले विपक्षी गठबंधन इंडिया में फूट की अटकलों पर संजय राउत ने एक बार फिर सफाई दी थी। संजय राउत ने कहा था कि अगर सहयोगियों के बीच संवाद बंद हो जाए तो कोई भी गठबंधन सफल नहीं हो सकता। सहयोगी दलों के बीच संवाद कायम रखने के लिए जिम्मेदार नेताओं की नियुक्ति की जाए। विपक्षी गठबंधन इंडिया में यह भूमिका कांग्रेस को निभानी चाहिए।
‘सहयोगियों के खिलाफ चुनाव लड़ने में कुछ भी गलत नहीं’
उन्होंने कहा था कि गठबंधन सहयोगियों के खिलाफ चुनाव लड़ने में कुछ भी गलत नहीं है, लेकिन ऐसे मामलों में किसी भी पार्टी को अपने पूर्व या संभावित भावी सहयोगियों को गद्दार नहीं कहना चाहिए। उन्होंने कहा था कि हम सभी राजनीतिक दलों की सामूहिक इच्छा इस देश के राजनीतिक परिदृश्य में आगे बढ़ाने की है। पिछले कुछ दिनों में हमारे कुछ गठबंधन सहयोगियों ने कहा है कि संचार टूट गया है। अगर यह आपसी संवाद टूट जाता है तो कोई भी गठबंधन सफल नहीं हो सकता।
‘संवाद की कमी का सीधे तौर पर गठबंधन के टूटने में योगदान’
उन्होंने यह भी कहा था कि 2019 में शिवसेना-भाजपा गठबंधन इसलिए टूट गया था, क्योंकि दोनों के बीच संवाद बंद हो गया था। उचित संचार और संवाद की कमी ने सीधे तौर पर गठबंधन के टूटने में योगदान दिया। उन्होंने कहा था कि विपक्षी गठबंधन इंडिया में 30 राजनीतिक दल हैं। इन सभी के बीच संवाद बरकरार रखने के लिए कुछ जिम्मेदार नेताओं को नियुक्त करने की जरूरत है।