बच्चों को एंगर मैनेजमेंट सिखाने में ये टिप्स आपके काम आ सकते हैं, तो चलिए जानें वो कौन से टिप्स हैं…

बच्चे कच्ची मिट्टी के समान होते हैं। जैसा ढालेंगे वो वैसे ही ढल जाएंगे। उन्हें जो भी सिखाया जाता है वो पूरी लाइफ टाइम काम आता है। इसीलिए जरूरी है कि बच्चे के दो साल पूरा होने के साथ ही लाइफ मैनेजमेंट से जुड़ी स्किल को सिखाना शुरू कर दें। इसी स्किल में जुड़ा है एंगर मैनेजमेंट। बच्चा अगर गुस्से में खुद को नुकसान पहुंचाता है या फिर दूसरों को मारता-पीटता है तो जरूरी है कि उसके गुस्से को समझें। साथ ही उसे गुस्से को जाहिर करने का सही तरीका बताएं। जिससे कि वो समझ सके कि उसे अपने गुस्से को किस तरह से जाहिर करना है। बच्चों को एंगर मैनेजमेंट सिखाने में ये टिप्स आपके काम आ सकते हैं। तो चलिए जानें वो कौन से टिप्स हैं।

बच्चे के गुस्से को माता-पिता समझें और एक्सेप्ट करें
बच्चा जब गुस्सा कर रहा हो तो एकदम से ‘ना’ ना कहें बल्कि उसके गुस्से को एक्सेप्ट करें। और कहें कि हां मैं देख रही हूं कि तुम गुस्सा हो। अगर आपको बच्चे के गुस्से का कारण पता हो तो वो भी कहें। इससे बच्चे को समझ आएगा कि गुस्सा होना बुरी बात नही है लेकिन उसे बोलकर जाहिर करना जरूरी है ना कि मारपीट कर के। बच्चे को गुस्सा ना करने या रोकने के लिए ना कहें। 

शब्दों का इस्तेमाल करना सिखाएं
बच्चे को बताएं कि जब उसे गुस्सा आए तो वो मारपीट कर खुद को या दूसरों को नुकसान ना पहुंचाए। बल्कि बोलकर बताए कि वो आखिर क्यों गुस्सा है। जिससे कि उसके माता-पिता समझ सकें और उसके गुस्से को कम करने की कोशिश करें। बच्चा अगर सही शब्द नहीं जानता तो उसे बताएं कि जब गुस्सा आए तो बताए कि ‘मैं गुस्सा हूं।’ 5 साल की उम्र आते-आते बच्चा समझ जाएगा कि गुस्सा होने पर उसे मां को बोलकर बताना होगा कि मैं गुस्सा हूं।

खोजें सॉल्यूशन
बच्चे का गुस्सा जान गई हैं तो उसका पॉजिटिव सॉल्यूशन खोजना बड़ी जिम्मेदारी है। क्योंकि बच्चा अगर गलत चीज की जिद कर रहा है तो उसे पूरी करने की बजाय अल्टनेटिव दें। लेकिन बच्चे को रोता हुआ बिल्कुल ना छोड़ें, ऐसा करने से बच्चे बिगड़ सकते हैं। बच्चा अगर खाने की चीज के लिए रो रहा तो उसे दूसरे ऑप्शन दें। अगर खेलने के लिए रो रहा है तो दूसरी खेल वाली चीजों में उसके दिमाग को उलझाने की कोशिश करें। जिससे कि उसका गुस्सा और नाराजगी शांत हो जाए।

बच्चे को समझाएं और माइंड डाएवर्ट करें
बच्चा जब गुस्सा होकर रो रहा हो तो ना कहने की गलती ना करें। बल्कि धीरे से बैठकर समझाएं। जिससे बच्चे को लगे कि आप उसकी भावनाओं को समझ रही हैं और उसकी प्रॉब्लम को सुलझाना चाहती हैं। इस दौरान आप उसे कहीं दूसरी जगह पर ले जाएं। जैसे उसे स्टेशनरी की जरूरत थी तो आप कहें कि चलो चलकर तुम्हारी स्टेशनरी पास की दुकान से ले आते हैं। ऐसा करने से बच्चे का माइंड डाएवर्ट होगा और वो गुस्सा भूल जाएगा।

बच्चे को सिखाएं मारना है गलत
बच्चा गुस्से में आकर मारता-पीटता है तो उसे समझाएं कि गुस्सा करना ठीक है लेकिन गुस्से में किसी को मारना या चोट पहुंचाना गलत है। इस तरह की पॉजिटिव अप्रोच और कोशिश से आप बच्चे के गुस्से को कंट्रोल करना और हैंडल करना दोनों सिखा देंगी। जो कि उसके लाइफ टाइम काम आएगा।

Back to top button