बढ़ सकती हैं रॉबर्ट वाड्रा की मुश्किलें, पढ़े पूरी ख़बर

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा और उनकी मां मरीन वाड्रा की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। राजस्थान हाई कोर्ट ने जमीन खरीद-फरोख्त से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस केस को खत्म करने की याचिका को खारिज कर दिया है। बीकानेर के कोलायत में रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी एलएलपी की ओर से की गई जमीन खरीद-फरोख्त जांच ईडी कर रहा है। रॉबर्ट वाड्रा और उनकी मां मरीन वाड्रा ने राजस्थान हाई कोर्ट में याचिका दायर करते हुए जांच पर रोक और गिरफ्तारी से राहत की मांग की थी। 

राजस्थान हाईकोर्ट की जस्टिस पुष्पेंद्र सिंह भाटी की एकल पीठ ने फैसला सुनाते हुए रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी की याचिका को खारिज कर दिया। हालांकि गिरफ्तारी पर 15 दिन की रोक लगाकर फौरी राहत दी है। बुधवार को सुनवाई पूरी करने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। करीब 2 साल तक सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी की याचिका को खारिज कर दिया।

क्या है केस
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल राजदीपक रस्तोगी ने बताया कि मामला वर्ष 2018 का है। उस दौरान बीकानेर पुलिस ने कोलायत में सरकारी जमीन खरीद फर्जीवाड़े के मामले में एक एफआईआर दर्ज की थी। बाद में केस को ईडी ने अपने हाथ में ले लिया था। जांच बीकानेर के कोलायत क्षेत्र में 275 बीघा जमीन की खरीद से संबंधित है। आरोप है कि वाड्रा ने 2010 में इस जमीन को महज 72 लाख रुपए में खरीदा। 2 साल बाद ही उन्होंने 615 फीसदी मुनाफे के साथ इसे बेच दिया था। 2019 में वाड्रा और उनकी मां से ईडी ने पूछताछ भी की थी। 

दो सप्ताह तक गिरफ्तारी पर रोक
इस फैसले के बाद 2 सप्ताह तक गिरफ्तारी पर रोक का पूर्व का अंतरिम आदेश जारी रहेगा। इस दौरान परिवादी अपील कर सकेंगे और तब तक गिरफ्तारी नहीं होगी। बुधवार को बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी ने वाड्रा की और से पैरवी करते हुए पक्ष रखा। वहीं यूनियन ऑफ इंडिया की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल राजदीपक रस्तोगी व उनके सहयोगी भानु प्रकाश बोहरा ने पक्ष रखा।

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